For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है वही रास्‍ते 

पथरीले चौड़े

पतले पक्‍के

घट गये रास्‍ते

बढ़ गयी दूरियाँ

 है वही गिलास

शरबतों से भरे

शराब से खाली

नशा प्‍यार का

नशा नशा का

दरवाजों पे दरबार

मन की शांति

मन का तनाव

भूला प्‍यार

बचा टकरार

वही है  रिश्‍ते

निभाने की होड़

दिखावट की होड़

मदद चाहत

मदद डर

प्रेम है वहीं

मन का मिलन

तन का मिलन

समर्पित  हम

धन समर्पित

कल हम आज हम

वही कल आज वही

सूरज वही रौशनी वही 

चॉंद वही चॉंदनी वही

मगर ना वही

तुम्‍हारी सभ्‍यता

तुम्‍हारे संस्‍कृति

ना तुम्‍हारे संस्‍कार

तुम्‍हारी पहचान वही

आज

लोभ,अहंकार

आधुनिकता

निर्लज्‍जता

और आडंबर में

बदल गया संसार

बदल गया संसार

 

 

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी की रचना

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 11:50pm

बहुत अच्छा लगता है कि आप गंभीर प्रयास के प्रति आग्रही हैं..

शुभेच्छाएं

Comment by Akhand Gahmari on December 13, 2013 at 11:03am

आदरणीया वंदना जी उत्‍साहवर्धन हेतु प्रणाम

Comment by Akhand Gahmari on December 13, 2013 at 11:02am

आदरणीय शिज्‍जू शंकर जी उत्‍साहवर्धन हेतु प्रणाम

Comment by vandana on December 13, 2013 at 7:14am

बहुत बढ़िया आदरणीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 10:07pm

अच्छा प्रयास है आदरणीय अखंड गहमरी जी बधाई स्वीकार करें

Comment by Akhand Gahmari on December 12, 2013 at 8:18pm

आदरणीया coontee mukerji जी आपके मार्गदर्शन के हम अभिलाषी है, आप अपने विचार से हमें अगवत कराये, निखार के विषय में थोडा मार्गदर्शन करे

Comment by coontee mukerji on December 12, 2013 at 6:18pm

तुम्‍हारी सभ्‍यता

तुम्‍हारे संस्‍कृति

ना तुम्‍हारे संस्‍कार

तुम्‍हारी पहचान वही

आज

लोभ,अहंकार

आधुनिकता

निर्लज्‍जता

और आडंबर में

बदल गया संसार

बदल गया संसार...........बहुत सुंदर लिखा है अखण्ड जी,भाव विचार भी अच्छे है लेकिन थोड़ा और सँवार देंगे तो रचना निखर आएगी.यह मेरा मत है. ज़रूरी नहीं कि अमल किया जाय. शुभेच्छु

 

Comment by Akhand Gahmari on December 12, 2013 at 4:48pm

आदरणीय डा गोपाल नारायण श्रीवास्‍तव उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन हेतु प्रणाम

Comment by Akhand Gahmari on December 12, 2013 at 4:48pm

आदरणीया मीना पाटकर जी उत्‍साहवर्धन हेतु प्रणाम

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 12, 2013 at 4:45pm

गहमरी जी

बहुत सी बाते जो कल थी आज भी है 

पर बदल गया संसार

शीर्षक विचारणीय है  i   आपको सतत प्रोत्साहन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service