मौसम के
सहारे वह
अरमान सजाता
जीवन का
दिन रात ना समझे वह तो
एहसास,ना वर्षा,ना ठंड का
कमर तोड़ मेहनत पर भी
ना मिलता उसे निवाला था।
खाद बीज महँगा अब तो
पानी भी ना देता संग था।
कर्ज में डूब कर भी वह
करता पूरे कर्म था।
तब जीवनदायक
अनाज का दाना
आता उसके घर था।
बड़े अरमान इसी दाने पर
हाथ पीले बेटी के
बदले मेहर की वह
तन दिखाती साड़ी को
जीवन की है और जरूरत
महीनो तक मुँह का निवाला
कर्ज निवारण इसी दाने से
सब इसी खेती पर निर्भर
पर नसीब का मार उस पर
कार्तिक में बरसे बादल
बह गये जिन्दगी के अरमा
निराश जीवन से अपने
मिटा गया खुद केा वह
टूट गयी चुड़ी,
धुल गया सिंन्दूर
पत्नी बेवा भरी जवानी,
ऑंगन सूना बच्चे अनाथ
ऑंगन में थी उसकी लाश
वह कोई गैर नहीं
अंजान नहीं
कर्तव्य कर्ज में कुचाला
अखंड भारत का
एक किसान था।
जय जवान जय किसान था
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
बहुत खूब ! इस प्रस्तुति को अब संशोधित कर फिर से लिखिये ताकि प्रस्तुतीकरण पर समुचित अभ्यास हो सके, भाईजी. और, अबकी कोशिश में इस कविता को भाषण का पर्याय न बनने दीजियेगा.
हार्दिक शुभेच्छाएँ
आदरणीय सुजान जी, गिरिराज जी, पाठक जी , गीत जी,डा0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी एवं आदरणीया वेदिका जी उत्साहवर्धन हेतु आप सब को मेरा प्रणाम, आशा है कि आप भविष्य में भी हमारे उपर अपना स्नेह प्रदान करते रहेगें।
गहमरी जी
किसान की समस्या पूरे देश जकी समस्या है i
आपने अपनी स्टाइल से इस समस्या को उठाया है i
इसके लिए आपको धन्यवाद i
आपकी रचना मन को छू गई, सच! एक किसान की व्यथा को आपने बखूबी चित्रित किया है, बधाई स्वीकारें आदरणीय अखंड जी
किसान कि व्यथा बहुत खूब कही आपने| जो हमारा अन्नदाता है, उसके लिए कई योजनाएँ भी चलायी जा रही हैं| लेकिन उचित चैनल न होने से वह लाभान्वित नही हो पाता|
रचना कि संवेदनशीलता हेतु हार्दिक बधाई!!
सुन्दर रचना आदरणीय भाई जी , //////बहुत बहुत बधाई
आदरण्र्र्य अखंड भाई , बहुत सही , कटु सत्य का वर्णन किया है आपने अपनी रचना में !!! किसानों की भलाई का केवल प्रपंच रचा जाता है , सच मे भला सरकार नही करती ये अकाट्य सच है !!!! रचना के लिये आपको बधाई !!!!
बहुत सुन्दर .किसान पर कुदरत ही सब कुछ कर पाती है। सरकार नही कुछ सही कर पाती। सरकार कर्मचारियों के लिये,, और निखट्टूओं के लिये तो कर सकती है किसान के लिये नहीं करती।।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online