हर रुख से चली यूं तो हवा अपने वतन में
सावन कभी पतझड़ न बना अपने वतन में
साज़िश तो बहुत रचते रहे अम्न के दुश्मन...
रिश्तों पे रही महरे-खुदा अपने वतन में
हर हीर के दिल में है बसी झांसी की रानी
हर रांझे में बिस्मिल है छिपा अपने वतन में
तहज़ीब का हिस्सा है यहां सादा मिज़ाजी
जो जितना झुका, उतना उठा अपने वतन में
मिटती नहीं मिट्टी से ये उल्फ़त कभी शाहिद
होने को तो क्या कुछ न हुआ अपने वतन में
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
Comment
तहज़ीब का हिस्सा है यहां सादा मिज़ाजी
जो जितना झुका, उतना उठा अपने वतन में
waah shahid bhai ....kya baat kahi hai aapne...bahut umda...
रदीफ को क्या ही खूबसूरत ढंग से निभाया है कि हर शेर को चार चाँद लग गए
हार्दिक बधाई
हर हीर के दिल में है बसी झांसी की रानी
हर रांझे में बिस्मिल है छिपा अपने वतन में
Sach hai ..dabey jazbaaton ko waqt hi ubhaarta hai..deshbhakti to lahoo ban ke bahti hai ragon mein..:)
bahut hi sundar bhaav ..
हर हीर के दिल में है बसी झांसी की रानी
हर रांझे में बिस्मिल है छिपा अपने वतन में
बहुत ही बढ़िया रचना बधाई !!!
हर हीर के दिल में है बसी झांसी की रानी
हर रांझे में बिस्मिल है छिपा अपने वतन में
bahut khoob. yah mulk aisa hi hai kan kan me raam aur rahim baste hai yaha par.
मिटती नहीं मिट्टी से ये उल्फ़त कभी शाहिद
होने को तो क्या कुछ न हुआ अपने वतन में
bahut umda shayari. Mohammad Iqabal ki jhalak hai apaki shayari me. Happy republic day
हर हीर के दिल में है बसी झांसी की रानी
हर रांझे में बिस्मिल है छिपा अपने वतन में,
वाह वाह शाहिद साहब , जज्बातों को शब्द देते हुए यह शे'र बेहद खुबसूरत है , अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई, गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना |
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