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कहा कब कि दुनिया ये ज़न्नत नहीं है

तुम्हे पा सकें ऐसी किस्मत नहीं है //1//

मोहब्बत को ज़ाहिर करें भी तो कैसे

पिघलने की हमको इजाज़त नहीं हैं //2//

तो वादों की जानिब कदम क्यों बढ़ाएं
निभाने की जब कोई सूरत नहीं है. //3//

बहुत सब्र है चाहतों में तुम्हारी

नज़र में ज़रा भी शरारत नहीं है //4//

सुलगती हुई आस हर बुझ गयी, पर

हमें आँधियों से शिकायत नहीं है //5//

मौलिक और अप्रकाशित 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 21, 2013 at 3:15pm

ग़ज़ल आपको पसंद आयी प्रिय अरुण भाई..यह जान अच्छा लगा 

सादर धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 21, 2013 at 3:15pm

सादर आभार आदरणीय नादिर खान जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 21, 2013 at 3:14pm

ग़ज़ल पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रया के लिए सादर धन्यवाद आ० बैद्य नाथ जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 21, 2013 at 2:12pm

आदरणीया प्राची जी 

मोहब्बत को ज़ाहिर करें भी तो कैसे

पिघलने की हमको इजाज़त नहीं हैं //2//

बहुत सब्र है चाहतों में तुम्हारी

नज़र में ज़रा भी शरारत नहीं है //4/....आपकी इस बेहतरीन ग़ज़ल के ये दो शेर मुझे बेहद पसंद आये ..ताजगी से भरे इन शेरो के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें ..सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 21, 2013 at 1:31pm

आदरणीया प्राची दीदी ग़ज़ल पर देरी से आ रहा हूँ इस हेतु क्षमा चाहता हूँ बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर कमाल के बन पड़े हैं. इस सुन्दर ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

दीदी इन दो अशआरों पर विशेष दाद कुबूल फरमाएं.

तो वादों की जानिब कदम क्यों बढ़ाएं
निभाने की जब कोई सूरत नहीं है. //3// वाह वाह वाह

सुलगती हुई आस हर बुझ गयी, पर

हमें आँधियों से शिकायत नहीं है //5// वाह वाह वाह

Comment by नादिर ख़ान on December 20, 2013 at 10:31pm

आदरणीया प्राची जी, आपकी गज़ल बहुत पसंद आयी ..

सभी शेर लाजवाब हैं ।

Comment by Saarthi Baidyanath on December 20, 2013 at 10:23pm

गज़ब का शेर है आदरणीया ...बेहद खुबसूरत 

तो वादों की जानिब कदम क्यों बढ़ाएं
निभाने की जब कोई सूरत नहीं है. ................मजा आ गया ग़ज़ल पढ़कर ...वाह 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 10:06pm

सादर धन्यवाद आ० सलीम रज़ा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 10:05pm

ग़ज़ल पर सराहना के लिए आभार आ० उमेश कटारा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 10:03pm

सादर धन्यवाद आ० विजय निकोर जी 

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