For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1 2 2     1 2 2    1 2 2    1 2 2

कहा कब कि दुनिया ये ज़न्नत नहीं है

तुम्हे पा सकें ऐसी किस्मत नहीं है //1//

मोहब्बत को ज़ाहिर करें भी तो कैसे

पिघलने की हमको इजाज़त नहीं हैं //2//

तो वादों की जानिब कदम क्यों बढ़ाएं
निभाने की जब कोई सूरत नहीं है. //3//

बहुत सब्र है चाहतों में तुम्हारी

नज़र में ज़रा भी शरारत नहीं है //4//

सुलगती हुई आस हर बुझ गयी, पर

हमें आँधियों से शिकायत नहीं है //5//

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1503

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 10:01pm

ग़ज़ल की सराहना कर लेखन को मान देने और उत्साहवर्धन करने के लिए सादर आभार आदरणीया कुंती जी

Comment by SALIM RAZA REWA on December 20, 2013 at 9:52pm

प्राची जी

खूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारक हो //

Comment by umesh katara on December 20, 2013 at 7:56pm

खूब सूरत अन्दाजे बयां वाहहहहहहहहहहह वाहहहहहहहहहह
तो वादों की जानिब कदम क्यों बढायें
निभाने की जब कोई सूरत नहीं है---शानदार
वाहहहहहहहह 

Comment by vijay nikore on December 20, 2013 at 3:47pm

खूबसूरत गज़ल ... खयाल-बुलन्दी के लिए बधाई।

Comment by coontee mukerji on December 20, 2013 at 2:03pm

मोहब्बत को ज़ाहिर करें भी तो कैसे

पिघलने की हमको इजाज़त नहीं हैं //2//.............कहने का अंदाज़ कितना खूबसूरत है.

तो वादों की जानिब कदम क्यों बढ़ाएं
निभाने की जब कोई सूरत नहीं है. //3//...........बहुत सुंदर.

प्राची जी हर विधा में कमाल है.सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 12:26pm

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय निलेश शिवगांवकर जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 12:25pm

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 12:25pm

ग़ज़ल आपको पसंद आयी...बहुत बहुत आभार आ० अजय शर्मा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 12:19pm

आदरणीया कल्पना रामानी जी 

ग़ज़ल पर आपकी प्रोत्साहित करती सराहना के लिए सादर धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 12:18pm

आदरणीय तपन दुबे जी 

अशआर आपको पसंद आये और मुखर सराहना मिली \

धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
17 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
20 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
27 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
39 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अति सुंदर ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
43 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मेरी कोशिशें हैं इधर धीरे धीरे उधर हो रहा है असर धीरे धीरे। गए उनके दिल में उतर धीरे धीरे हुए वो…"
50 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अदरणीय जयहिंद जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अदरणीय दयाराम जी नमस्कार  ग़ज़ल अच्छी हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए , बाक़ी गुणीजनों ने कह दिया…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय अजेय जी नमस्कार  ग़ज़ल अच्छी कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए गुणीजनों  की बातें कबीले…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय दयाराम जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service