For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दर्द का सावन ……

.

दर्द का सावन तोड़ के बंधन
नैन गली से बह निकला
मुंह फेर लिया जब अपनों ने
तो बैगानों से कैसा गिला

 
जो बन के मसीहा आया था
वो बुत पत्थर का निकला
मैं जिस को हकीकत समझी थी
वो रातों का सपना निकला

है रिश्ता पुराना कश्ती का
सागर के किनारों से लेकिन
जब दुश्मन लहरें बन जाएँ
तो कश्ती से फिर कैसा गिला


जन्मों जन्मों के वादे थे 
इक दूजे का साथ निभाने के
दो चार कदम चल मुंह फेर लिया
तो राहों से फिर कैसा गिला

 
जिस नजर पर भरोसा था हमको
उस नजर ने जलील-ओ-ख़्वार किया
जिन बाहों में घर सोचा था
वो घर कच्ची मिट्टी का निकला ,

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 27, 2013 at 1:01pm

aa.Saurabh Pandey jee rachna aapke snehankit shabdon rachna dhany huee...aapka hr sujhaav mere liye amuly hai....aapkee is aatmeey sneh ka haardik aabyaar


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 26, 2013 at 9:00pm

भाई सुशीअजी, आपकी संवेदनापूरित इस कविता के लिए हार्दिक बधाई. आपने हृदय के दग्ध उद्गारों को शब्दबद्ध करने की कोशिश की है. इसके लिए हार्दिक बधाई.
बाकी, आप इस मंच पर बने रहें, रचनाकर्म से सम्बन्धित तथ्य स्वयं उप्लब्ध होते जायेंगे.
सादर

Comment by Sushil Sarna on December 26, 2013 at 7:15pm

aa.Dr.Prachi Singh jee rachna par aapkee aatmeey prashansa ka haardik aabhaar


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 26, 2013 at 3:42pm

सांसारिकता में कभी साथ कभी विछोह, कभी विश्वास तो कभी धोखे के कारण अन्तःक्रंदन को शब्द देती प्रस्तुति..

शुभकामनाएं 

Comment by Sushil Sarna on December 23, 2013 at 7:40pm

aa.Arun Sharma Anant jee aapke sneh ka haardik aabhaar

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 23, 2013 at 1:07pm

आदरणीय सुशील सर बहुत ही सुन्दर रचना मुझे कहीं कहीं प्रवाह बाधित लगा खैर इस रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Sushil Sarna on December 21, 2013 at 2:52pm

aa.Giriraj Bhandaari jee rachna par aapkee snehil prashansa nka haardik aabhaar...aapke dwara ingit truti ko maine edit kr liya hai...jaldee baazee men ye ho gayee...aapkaa is truti pr dhyanakarshan ke liye hardik aabhaar-kripya sneh bnaaye rakhain


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 20, 2013 at 8:32pm

आदरणीय सुशील भाई , बहुत सुन्दर रचना की है , आपको अनेकों बधाइयाँ !!

जलील-ओ-खार -,  शब्द शायद -   जलील-ओ- ख़्वार - होगा एक बार देख लीजियेगा ॥ सादर ॥

Comment by Sushil Sarna on December 20, 2013 at 7:58pm

aa.Savitamishra jee rachna par aapkee aatmeey pratikriya ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on December 20, 2013 at 7:58pm

aa.Avinash S Bagde jee rachna par aapkee madhur prashansa ka haardik aabhaar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service