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तीर चलते हैं मगर

तीर चलते हैं मगर तरकश नजर नहीं आता
चाहत में निगाहों को सफर नजर नहीं आता

अंजाम जान के भी पलकों में घर बनाते हैं
क्यूँ दिल टूटने का उन्हें हश्र नजर नहीं आता

आसमान को छूने की तमन्ना करने वालो
क्यों ज़मीं पर तुम्हें टूटा पंख नजर नहीं आता

लगा दिया इल्जाम बेवफाई का उनके सर
क्यूँ आँख से गिरा अश्क नजर नहीं आता

जिस तकिये पे मिल कर गुजारी थी रातें
उस भीगे तकिये का दर्द नजर नहीं आता

सुशील सरना


मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Sushil Sarna on December 28, 2013 at 2:03pm

aa.Brijesh Neeraj jee rachna par aapke aatmeey udgaaron ka haardik aabhaar

Comment by बृजेश नीरज on December 27, 2013 at 8:18pm

खूबसूरत रचना है! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Sushil Sarna on December 27, 2013 at 7:05pm

aa.Saurabh Pandey jee rachna par aapkee snehankit prashansa ka haardik aabhaar...aapke sujhaav ka swagat hai....pryatn kroonga ki aapkee aashaaon ko poora kr skoon...haardik aabhaar 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2013 at 2:44pm

भावप्र्धान रचना हुई है, आदरणीय सुशीलभाई. 

आसमान को छूने की तमन्ना करने वालो
क्यों ज़मीं पर तुम्हें टूटा पंख नजर नहीं आता..  वाह !

इस प्रस्तुति को ग़ज़ल का लिहाज़ दें आपके पास खयाल हैं.

शुभ-शुभ

Comment by Sushil Sarna on December 26, 2013 at 7:59pm

aa.Mahima Shree jee rachna par aapkee snehil prashansa ka haardik aabhaar

Comment by MAHIMA SHREE on December 26, 2013 at 7:35pm

तीर चलते हैं मगर तरकश नजर नहीं आता
चाहत में निगाहों को सफर नजर नहीं आता.... बहुत खूब ..आदरणीय सुशील जी बधाई आपको सादर

Comment by Sushil Sarna on December 26, 2013 at 12:18pm

aa.Jitender Geet jee rachna par aapkee utsaahvardhak pratikriya ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on December 26, 2013 at 12:17pm

aa.Laxsmen Dhami jee rachna par aapkee oorjawaan pratikriya ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on December 26, 2013 at 12:16pm

aa.Coontee Mukerji rachna par aapkee hosla afzaaee ka shukriya

Comment by Sushil Sarna on December 26, 2013 at 12:16pm

aa.Giriraj Bhandari jee aapkee aatmeey prashansa ka haardik aabhaar

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