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उलझे प्रश्नों में हँसता मन

क्यूँ
हाँ क्यूँ
मेरा मन
मेरा कहा नहीं मानता
क्यूँ मेरा तन
मेरे बस में नहीं
न जाने इस पंथ का अंत क्या हो
किस इच्छा के वशीभूत हो
मेरे पाँव
अनजान उजाले की ओर आकर्षित हो
निरंतर धुल धूसरित राह पे
बढ़ते ही जा रहे हैं
ये तन
उस मन के वशीभूत है
जो स्थूल रूप में है ही नहीं
न जाने मैं इस राह पे
क्या ढूढने निकला हूँ
क्या वो
जो मैं पीछे छोड़ आया
या वो
जो मेरे मन की
गहरी कंदराओं में
छुपा बैठा है
मन के
राग-विराग, सुख-दुःख
मिलन-विरह, जीवन-मरण के प्रश्न
आज भी उत्तर की प्रतीक्षा में
मानव की बेबसी का उपहास उड़ा रहे हैं
बेलगाम घोड़े सा ये मन
अपनी इच्छा रूपी
नागफ़ास की कुंडली में
तन को उस उजाले की ओर ले जा रहा है
जो स्वयं अन्धकार के वश में है
क्या इस मन और जीवन रूपी राह का अंत निर्वाण है
शायद हाँ
शायद न
तन हारा न हारा मन
लम्बी राहें थकता जीवन
जन्म-मरण और पुनर्जन्म
उलझे प्रश्नों में हँसता मन, उलझे प्रश्नों में हँसता मन ……

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Sushil Sarna on January 4, 2014 at 11:40am

Vandana jee rachna par aapkee snehil prashansa ka haardik aabhaar

Comment by vandana on January 4, 2014 at 7:29am

गहन भावों से भरी सुन्दर  रचना है आदरणीय सुशील सर 

Comment by Sushil Sarna on January 3, 2014 at 7:00pm

aa.Saurabh Pandey jee rachna par aapkee snehaasheesh ka haardik aabhaar...aapke dwara ingit truti ko bhavishy men avashy dhyaan men rakhoonga ....kyun shabd men mujhe force laga isleye uska pryog kiya....khair aapke is anmol sujhaav ka haardik aabhaar......nav varsh kee aapko haardik shubhkaamnaaye SIR jee


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 3, 2014 at 1:41pm

मनस के अवयवों के सापेक्ष-प्रभाव को साझा करती इस अभिव्यक्ति के लिए धन्यवाद, आदरणीय.  स्थूल और सूक्ष्म की परस्पर निर्भरता परा-ज्ञान का मूल है. बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीय.

अलबत्ता, क्यूँ  जैसे शब्द रचना के स्तर को हल्का अवश्य कर रहे हैं, इसके प्रति अवश्य ध्यान रखा जाय.

सादर

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2014 at 6:05pm

aa.Arun Sharma Anant jee rachna par aapkee snehil prashansa ka haardik aabhaar avm nav varsh kee haardik shubhkaamnaayen

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2014 at 6:04pm

aa.Ramesh Kumar Chouhan jee rachna par aapke sneh ka haardik aabhaar avm aapko nav varsh kee haardik shubhkaamnaayen

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2014 at 6:04pm

aa.Akhilesh Krishan Shrivastav jee rachna par aapkee snehankit prashansa ka haardik aabhaa aivm nav varsh kee haardik shubhkaamnaayen

Comment by Sushil Sarna on January 2, 2014 at 6:03pm

aadrneey Dr.Prachi Singh jee rachna par aapkee smeekshaatmak pratikriya aur prashansa se rachna ko aik naee oonchaaee milee hai....aapkee aatmeeyata se pripoorn snehankit shabdon ke liye haardik aabhaar....aapko nav varsh kee haardik shubhkaamnaayen

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 2, 2014 at 11:14am

आदरणीय सुशील जी बहुत ही गहन भाव सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 1, 2014 at 8:11pm

आदरणीय सुशील सरलजी, इस भाव युक्त प्रस्तुति के साथ साथ नववर्ष की बधाई

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