For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

ग़ज़ल
बहर-।ऽऽऽ ।ऽऽऽ
.
कभी ख़ुद से रफ़ाक़त हो।
ज़रा शिकवा-शिकायत हो॥
.
ख़ुशी के साज़ खो जाएँ,
बड़ी बोझिल तबीयत हो।
.
अदाओं में हो बेअदबी,
निगाहों में हिक़ारत हो।
.
कसकती हों कहीं टीसें,
कहीं बेजा हरारत हो।
.
सरे-बाज़ार लुट जाएँ,
ज़रा ऐसी तिजारत हो।
.
दुआ के चार बोलों में,
अनुष्टुप हो न आयत हो।
.
डगर लंबी,सफ़र तन्हा,
यही अपनी विरासत हो।
.
ग़ज़ल में ढल सकें आँसू,
फ़क़त इतनी इनायत हो॥
.
-मौलिक एवं अप्रकाशित।
-24.12.2013

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on January 5, 2014 at 4:20pm
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया आदरणीय।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 4, 2014 at 8:12pm
दुआ के चार बोलो में।
अनुष्टुप हो न आयत हो।
वाह आदरणीय भाई रवि प्रकाश जी! वाह!
एक बेहतरीन गजल के लिये बधाई।
Comment by Ravi Prakash on January 3, 2014 at 1:30pm
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद आ॰ सौरभ जी। आशीर्वाद बनाए रखें॥

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 3, 2014 at 2:37am

ग़ज़ल पर हुआ प्रयास मनोहारी है.

दुआ के चार बोलों में,
अनुष्टुप हो न आयत हो.. इस शेर के ग़िर्द बुनी गयी ग़ज़ल भली लगी, रवि भाईजी.

हार्दिक बधाई.

Comment by Ravi Prakash on December 30, 2013 at 4:42pm
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया कुंती जी।
Comment by coontee mukerji on December 29, 2013 at 10:54pm

दुआ के चार बोलों में,
अनुष्टुप हो न आयत हो।.....क्या बात है.
.

Comment by Ravi Prakash on December 28, 2013 at 7:43pm
आ॰ गीत जी, आपको रचना अच्छी लगी, जान कर मन को आनंद प्राप्त हुआ। स्नेह बनाए रखें।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 28, 2013 at 9:01am

सरे-बाज़ार लुट जाएँ,
ज़रा ऐसी तिजारत हो|
.
डगर लंबी,सफ़र तन्हा,
यही अपनी विरासत हो।

बहुत शानदार गजल कही आपने आदरणीय रवि जी, यह शेर बहुत पसंद आये बधाई आपको

Comment by Ravi Prakash on December 27, 2013 at 11:03pm
धन्यवाद महिमा जी.. बधाई प्राप्त की गई है।
Comment by MAHIMA SHREE on December 27, 2013 at 7:45pm

दुआ के चार बोलों में,
अनुष्टुप हो न आयत हो।... वाह बहुत बढ़िया आ. रवि प्रकाश जी बधाई प्रेषित है ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service