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नूतन साल आया (गज़ल) - कल्पना रामानी

212221222122

 

पूर्ण कर अरमान, नूतन साल आया।

जाग रे इंसान, नूतन साल आया।

 

ख़ुशबुओं से तर हुईं बहती हवाएँ,

थम गए तूफान, नूतन साल आया।

 

गत भुलाकर खोल दे आगत के द्वारे,

छेड़ दे जय गान, नूतन साल आया।

 

कर विसर्जित अस्थियाँ गम के क्षणों की,

बाँटकर मुस्कान, नूतन साल आया। 

 

मन ये तेरा अब किसी भी लोभ मद से,

हो न पाए म्लान, नूतन साल आया।

 

पूछता है रब कि  तेरी, क्या रज़ा है,

माँग ले वरदान, नूतन साल आया।

 

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने,

चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

 

मनुजता तेरी, कहीं प्राणी  जतन बिन,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 920

Comment

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Comment by अरुन 'अनन्त' on January 2, 2014 at 11:31am

वाह वाह आदरणीया बेहद शानदार ग़ज़ल कही है आपने सभी शेर एक से बढ़कर एक लगे अंतिम शेर पुनः देख लें. इस उम्दा ग़ज़ल हेतु ढेरों दिली बधाई स्वीकारें.

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:17pm

आदरणीय जितेंद्र जी हार्दिक धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:17pm

आदरणीय नादिर खान जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपका

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:15pm

आदरणीय गिरिराज जी, हृदय से आभार

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:14pm

अदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सादर धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:10pm

आदरणीया माहेश्वरी जी, सुदर प्रतिक्रियाके लिए सादर धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 1, 2014 at 10:09pm

आदरणीया प्राची जी, उत्साह बढ़ती हुई सुंदर टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 1, 2014 at 9:23pm

गत भुलाकर खोल दे आगत के द्वारे,

छेड़ दे जय गान, नूतन साल आया।

 

कर विसर्जित अस्थियाँ गम के क्षणों की,

बाँटकर मुस्कान, नूतन साल आया। 

यत्न कर प्राणी, कहीं तेरी मनुजता,

खो न दे पहचान, नूतन साल आया।

आपकी भावनाओं की स्पष्टता शुद्धता और ऊंचाई पर हर बार दिल वाह कर उठता है...

ये तीन शेर बहुत पसंद आये 

आपको इस ग़ज़ल की और नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं आदरणीया कल्पना रामानी जी 

Comment by Maheshwari Kaneri on January 1, 2014 at 7:55pm

कल्पनाजी, नव वर्ष की शुभ कामनाओं  के साथ इस सुंदर रचना  की भी हार्दिक बधाई

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 1, 2014 at 1:00pm

आदरणीया  कल्पनाजी, नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ आपको इस अति सुंदर रचना  की भी हार्दिक बधाई॥

कृपया ध्यान दे...

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