उत्थान पतन के बीच साल फिर बीत गया,
बस आशा और निराशा के संग बीत गया।
कुछ दु:ख मिले कुछ आहत मन उल्लसित हुआ,
वह सुख मिले बस इंतजार में बीत गया।
नव वर्ष किरण फिर आशा की लेकर आया,
जनगण मन के मन-मन में फिर उल्लास जगा।
यह जगा रहे उल्लास पूर्ण हो अभिलाषा,
जनता की भाषा बने तंत्र की परिभाषा।
अपराध न हो, हर नारी को सम्मान मिले,
हर मुरझाए चेहरे को भी सनमान मिले।
मंहगाई, भ्रष्टाचार, दु:ख छू मंतर हो,
नव वर्ष हर्ष सुखदायक हो मत अंतर हो।
...........इन्ही कामनाओं के साथ सभी मित्रों-शुभचिंतकों को वर्ष २०१४ की हार्दिक मंगलकामनाएं।
अतुल अवस्थी
-9838642000
"मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय अवस्थी सर सुन्दर भाव शानदार रचना बहुत बहुत बधाई आपको
बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना आदरणीय अतुल जी
आदरणीय अतुल जी, नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ बधाई स्वीकारें
आदरनीय , सुन्दर आशाओं , अभिलाशाओं से सजी आपके रचना के लिये आपको बधाई ॥ नव वर्ष की आपको भी शुभ कामनायें ॥
आदरणीय अतुल भाई , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी हो॥ सुंदर रचना की हार्दिक बधाई॥ .......सप्रेम राधे- राधे ।
बहुत अच्छी प्रस्तुति नववर्ष आपके लिये मंगलमय हो इस शुभकामनाओं के साथ
उत्थान पतन के बीच साल फिर बीत गया,
बस आशा और निराशा के संग बीत गया।
कुछ दु:ख मिले कुछ आहत मन उल्लसित हुआ,
वह सुख मिले बस इंतजार में बीत गया।
नव वर्ष किरण फिर आशा की लेकर आया,
जनगण मन के मन-मन में फिर उल्लास जगा। ......बहुत सुंदर प्रस्तुति.
ष २०१४ की हार्दिक मंगलकामनाएं। .....सदर
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