होली का हुड़दंग न खेला, तो क्या खेला जीवन मेें,
भौजी के संग रंग न खेला, तो क्या खेला जीवन में।
फगुआ की मदमस्त हवा में, जन-जन है बौराय रहा,
मानव तो मानव है, देखौ पादप भी बौराय रहा।
नगर-नगर और गली गली में होरियारे गोहराय रहे,
होली का हुड़दंग न खेला तो क्या खेला जीवन में।
पप्पू, रामू, मुन्नू, सोनू सबके हाथों में पिचकारी,
घर से निकली बबली गोरी बौछारों के सम्मुख हारी।
ढोल, नगाड़े, ताशे के संग होरियारों की टोली निकली,
रंग गुलाल गाल को रंगो हुड़दंगो की बोली…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on March 7, 2015 at 11:35am — 4 Comments
कोई पढ़वाता नमाज है, कोई जपवाता माला।
भारत और इंडिया का, देखो यह है गड़बड़झाला।
धर्म, जाति, मक्कारी की, हाला उसने जो पी ली है।
मानवता को नोंच, नोंचकर, लगा रहा मुंह पर ताला।
राम, रहीम, मुहम्मद हमको मिले नहीं हैं अभी तलक।
धर्म नीति के प्याले में है, दिखता बस जाला-जाला।
भावों का जो घाव मिल रहा, कब तक उसे कुरेदोगे।
मंदिर कभी और मस्जिद में, कब तक मन को तोलोगे।
ईश्वर अल्ला नाम एक ही, बोलो क्यू हो भूल रहे।
धर्म तराजू से भारत की, संतानों को तोल रहे।
तेज सियासी…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on December 13, 2014 at 9:01pm — 3 Comments
अब होश करौ मदहोश न हो,
नहीं तौ फिर से दुख पइहौ।
उप्पर सफेद अंदर करिया,
ई नेता केर स्वरूप आय।
घड़ियाली आंसू ढुरुकि क्यार,
वोटन का लेवैक रूप आय।
जौ जाति धर्म मां बंटि जइहौ,
तौ पांच साल तक पछितइहौ
अब होश करौ मदहोश न हो,
नाहीं तौ फिर से................।
ई प्रजा तंत्र तब बचि पाई,
जब रिश्ता नाता ना देखौ,
टेटे कै पैसा ना लेखौ,
गाड़ी कै बवंडर ना देखौ।
अब होश करौ मदहोश न हो,
नाहीं तौ फिर से................।
ई देश बचावै के खातिर,
गुंडन…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on April 6, 2014 at 7:14pm — 7 Comments
फागुन चला गया, अरे फागुन चला गया,
वह खुशमिजाज मौसम सगुन दे चला गया।
बागों में आम बौर बढ़े, फगुआ हवा में,
सर्दी के सितम से भी तो राहत दी पछुआ ने।
हर एक दिल को खुशनुमा करके चला गया,
फागुन चला गया, अरे फागुन ..................
सूरज की चमक को भी तो फागुन ने टटोला,
हर एक दिल को मौसमी अंदाज से तोला।
बूढ़ों को धूप, बच्चों को मुस्कान दे गया।
हर व्यक्ति को राहत भरा उनमान दे गया।
फागुन चला गया, अरे फागुन ..................
हम बात कहें, अन्नदाता के हिसाब…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on March 18, 2014 at 9:22pm — 2 Comments
तुम गुलगुल गद्दा पर सोवौ, हमका खटिया नसीब नाहीं।
तुम रत्नजड़ित कुर्सिप बैठौ, हमका मचिया नसीब नाहीं।
तुम भारत मैया के सपूत, हम बने रहेन अवधूत सदा।
तुमरी बातेन का करम सोंचि, हम कहेन हमें है इहै बदा।
हर बातन मां तुम्हरी हम तौ, हां मां हां सदा मिलावा है।
तुमका संसद पहुंचावैक हित, तौ मारपीट करवावा है।
तबकी चुनाव मां बूथ कैंप्चरिंग, किहा रहै तौ अब छूटेन।
तुम्हरे उई दुईसौ रुपया मां, जेलेम खालर चुनहीं ठोकेन।
तुम निकरेव…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on March 6, 2014 at 9:00pm — 2 Comments
उत्थान पतन के बीच साल फिर बीत गया,
बस आशा और निराशा के संग बीत गया।
कुछ दु:ख मिले कुछ आहत मन उल्लसित हुआ,
वह सुख मिले बस इंतजार में बीत गया।
नव वर्ष किरण फिर आशा की लेकर आया,
जनगण मन के मन-मन में फिर उल्लास जगा।
यह जगा रहे उल्लास पूर्ण हो अभिलाषा,
जनता की भाषा बने तंत्र की परिभाषा।
अपराध न हो, हर नारी को सम्मान मिले,
हर मुरझाए…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on January 1, 2014 at 8:09pm — 7 Comments
बंधन रक्षा का है, यह दिलों का भी है।
भाई-बहनों के पावन मिलन का भी है।
प्यारी बहना सलामत रहे हर सदा।
मेरी ख्वाहिश तुम्हारे दिलों में भी है।
ले लो संकल्प बंधन के इस पर्व पर।
हर गली, हर मोहल्ले में बहना ही है।
बंधन रक्षा का है ......................।
प्यारी बहना को उपहार देते समय,
उसको पुचकार औ प्यार देते समय।
दिल्ली की सड़कों की याद कर लो जरा,
अरसा पहले जो गुजरा नजारा वही,
याद कर लो जरा, बात कर लो जरा।
लो…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on August 21, 2013 at 11:04am — 1 Comment
बंधन रक्षा का है, यह दिलों का भी है।
भाई-बहनों के पावन मिलन का भी है।
प्यारी बहना सलामत रहे हर सदा।
मेरी ख्वाहिश तुम्हारे दिलों में भी है।
ले लो संकल्प बंधन के इस पर्व पर।
हर गली, हर मोहल्ले में बहना ही है।
बंधन रक्षा का है ......................।
प्यारी बहना को उपहार देते समय,
उसको पुचकार औ प्यार देते समय।
दिल्ली की सड़कों की याद कर लो जरा,
अरसा पहले जो गुजरा नजारा वही,
याद कर लो जरा, बात कर लो जरा।
लो शपथ और खाओ कसम फिर…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on August 20, 2013 at 10:00pm — 5 Comments
पछुआ की यह गर्म हवा व्याकुल करती है,
सूरज की भी किरणें हैं ले रहीं परीक्षा।
गर्मी के दिन याद दिलाते हैं गांवों की,
काश! छुअन छू जाती हमकों अमराई की,
गर्मी के दिन याद.........................।
शहरों की यह आपाधापी, कमरे में बंद अपनी दुनिया।…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on May 28, 2013 at 1:00pm — 10 Comments
कैसे यह सरकार चलेगी कैसे तुम चल पाओगे
घूंट लहू की पीती जनता कैसे तुम बच पाओगे
दिल में थे अरमान बहुत औ लाखों सपने देखे थे
पर तुम उन सपनों को पूरा कैसे अब कर पाओगो
कैसे यह सरकार चलेगी कैसे तुम चल पाओगे
सोंचा था महफूज रहेंगे हंसी खुशी का मंजर होगा
हर लव पर खुशियां चहकेंगी सुखी यहां का जन-जन होगा
लेकिन उल्टा दांव पड़ रहा, गली गली में हरण हो रहा
चौक और चौराहों पर गुंडागर्दी का वरण हो रहा
यूपी की तसवीर यही क्या तुमने मन में ठानी थी
तुमने घर-घर…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on March 4, 2013 at 10:00pm — 2 Comments
गिर रहा है मनुष्य का अस्तित्व
यह शब्द हर समय वातावरण में गूंज रहा है।
फिर भी थम नहीं रही है,
बलात्कार और अपहरण की घटनाएं
कभी बस, कभी ट्रेन तो कभी चौक चौराहे से उठ रही हैं
सिसकियां
हर समय हो रहा है समाज का पोस्टमार्टम
एक
आज के अखबार में छपा था
चौराहे पर दिन दहाड़े हुआ
एक कमसिन युवती के साथ बलात्कार
अखबार को मिले चटपटे मसाले से
उड़ रही थीं समाज की धज्जियां
पत्रकार और अभियुक्त दोनों ताव दे-देकर ऐंठ रहे थे मूंछे
क्योंकि
एक पहले पन्ने…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on January 24, 2013 at 9:14pm — 9 Comments
शर्म करो ऐ तनिक दरिंदों शर्म करो,
मनुज रूप में तनिक दरिंदों शर्म करो।
दिल्ली की सड़कों पर तुमने यह क्या कर डाला।
बापू औ पटेल की धरती पर क्या रच डाला।
तेरी करतूतों से फिर है देश हुआ गमगीन,
शर्म करो ऐ तनिक दरिंदों शर्म करो....
नारी ही दुर्गा है नारी ही लक्ष्मी बाई,
नारी ही कल्पना हमारी नारी ही माई।
माता के स्वरूप को तुमने ही तिल तिल मारा,
दिल्ली की सड़कों पर तुमने यह क्या कर डाला।
तेरह दिन तक जीवन से भी हार नहीं मानी,
पल-पल जिसने अपनी…
Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on January 20, 2013 at 9:00pm — 3 Comments
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