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अब होश करौ मदहोश न हो,
नहीं तौ फिर से दुख पइहौ।
उप्पर सफेद अंदर करिया,
ई नेता केर स्वरूप आय।
घड़ियाली आंसू ढुरुकि क्यार,
वोटन का लेवैक रूप आय।
जौ जाति धर्म मां बंटि जइहौ,
तौ पांच साल तक पछितइहौ
अब होश करौ मदहोश न हो,
नाहीं तौ फिर से................।
ई प्रजा तंत्र तब बचि पाई,
जब रिश्ता नाता ना देखौ,
टेटे कै पैसा ना लेखौ,
गाड़ी कै बवंडर ना देखौ।
अब होश करौ मदहोश न हो,
नाहीं तौ फिर से................।
ई देश बचावै के खातिर,
गुंडन का भगावै की खातिर।
जो करैं देश कै सौदा,
उनका सबक सिखावै के खातिर।
अब होश करौ मदहोश न हो,
नाहीं तौ फिर से................।
अतुल अवस्थी *अतुल*
मो.-9838642000

मौलिक व अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 11, 2014 at 7:50am

जागृति का आह्वाहन करती बहुत ही सामयिक और सार्थक प्रस्तुति आदरणीय अतुल अवस्थी जी 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 9, 2014 at 11:09pm

ई प्रजा तंत्र तब बचि पाई,
/// जब रिश्ता नाता ना देखौ,
टेटे कै पैसा ना लेखौ,
गाड़ी कै बवंडर ना देखौ।
अब होश करौ मदहोश न हो,
नाहीं तौ फिर से.............../// 

वाह - वाह...... अत्यन्त सुन्दर !!!

Comment by Meena Pathak on April 9, 2014 at 4:14pm

बहुत बहुत बधाई ..... बहुत सुन्दर रचना 

Comment by विजय मिश्र on April 9, 2014 at 4:01pm
स्पष्ट शब्दों में खड़ी चेतावनी , सारगर्भित और यथार्थपरक |अनेक आभार |
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 8, 2014 at 9:47am

ई प्रजा तंत्र तब बचि पाई,जब रिश्ता नाता ना देखौ

उनका सबक सिखावै के खातिर।,अब होश करौ मदहोश न हो,------सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 8, 2014 at 12:17am

sundr सुंदर रचना प्रस्तुति , बधाई स्वीकारें आदरणीय अतुल जी

Comment by coontee mukerji on April 7, 2014 at 3:54pm

सुंदर प्रस्तुति केलिये हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

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