१ )
लाता एक नया रंग सा,
कुछ अलग एक नया ढंग सा,
कभी नशा सा, कभी मदहोशी सी,
मेरी ज़ुबान पे कभी ख़ामोशी सी।
प्यार ....... बस तेरा प्यार .......
२)
आस दिलाई फिरसे कसमों ने वादों ने,
तेरे साथ बिताए हर पल हसीन यादों ने,
कदम कमज़ोर पड़ने लगे थे टकराकर,
पर रुकना न सीखा मेरे मज़बूत इरादों ने।
प्यार ....... बस तेरा प्यार .......
३)
कभी सपनों को चूर कर दे,
कभी ग़मों को दूर कर दे,
मेरी जान ने तो साथ छोड़ दी,
धड़कन है तेरी जो जीने को मजबूर कर दे।
प्यार ....... बस तेरा प्यार .......
४)
दिल मेरा पंछियों सा उड़ता हुआ,
तेरे बसेरे कि राह में मुड़ता हुआ,
मिलना होगा तेरा मेरा जैसे,
आसमान धरती से जुड़ता हुआ।
प्यार ....... बस तेरा प्यार .......
५)
अंजानो में जाने पहचाने चेहरों सा,
सागर कि उन मचलती लहरों सा,
तेरे दिल को मेरे दिल से जोड़ता वो,
प्यार तेरा रब कि मेहरों सा।
प्यार ....... बस तेरा प्यार .......
.
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आप अन्य रचनाओं को पढ़ कर समझने का प्रयास करें ..
शुभेच्छाएँ
आदरणीय प्राची जी , आपकी विशेष टिपण्णी के लिये ह्रदय से धन्यवाद।
प्रेम को समर्पित बहुत सुकोमल भाव..
कदम कमज़ोर पड़ने लगे थे टकराकर,
पर रुकना न सीखा मेरे मज़बूत इरादों ने। ......इन दो पंक्तियों में जीत का जज्बा बहुत पसंद आया
हार्दिक बधाई इस अभिव्यक्ति पर.
आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी , सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
प्यार भरे इस प्रस्तुति पर बधाई
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी धन्यवाद्
आदरणीय वीजिश जी , सुन्दर कविता के लिये बधाई !!
आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आपको व आपके पुरे परिवार को भी नववर्ष बधाई। धन्यवाद् मेरी कविता पढ़ने व मेरी कोशिश को सराहने के लिए।
आदरणीय विजीश भाई , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी हो॥ सुंदर रचना की हार्दिक बधाई॥ .......सप्रेम राधे- राधे।
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