For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता - " क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा "

जब रातें होंगी अधूरी सी ,
न बातें होंगी पूरी सी ,
न हाथों में हाथ होगा ,
न तेरा मेरा साथ होगा ,
क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा ?

याद में तेरी आँखों से आँसु छलक जाते ,
अब हम हर सपनों में बस तुझे ही पाते ,
इस वीराने में भी जन्नत सा मज़ा आता ,
अगर हम एक दूसरे के हो जाते।

क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा ?

सुलघति हुई गलियों में होगा चलना ,
काँटों भरी राहों में होगा मिलना ,
बस प्यार तेरा पाना ही होगी मेरी मंज़िल ,
मेरे ख्वाबों के लहरों का कैसा होगा साहिल।
क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा ?

हर पल गुज़ारना चाहूँ साथ तेरे ,
कोई क्या समझेगा जज़बात मेरे ,
प्यार से लगालू मौत को भी गले ,
अगर मौत के बाद भी तू मेरे साथ चले।
क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा ?

क्या ये फासले , कैसी है ये दूरियाँ ,
क्या प्यार में होती है ऐसी मजबूरियाँ ,
कुछ शक के पल ले आती दरारें हैं ,
बन जाती रिश्तों के बीच दीवारें हैं।
क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा ?

आँखों में धुंदली सी तस्वीर है ,
तुझे देख न पाऊँ कैसी ये तक़दीर है ,
मेरी हर सोच में तेरी झिलमिलाती यादें है ,
तेरे मेरे बीच क्यूँ ये अधूरे से वादें है।

क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा ?

नज़दीकियों ने फासलों को यूँ मिटा दिया ,
ख़ुशी और गम कि रंज में प्यार को जिता दिया ,
इस कदर ज़ख्म पाए थे हमने ,
मौत के भी आलम में जीना सिखा दिया।

क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा ?

बदलेगा मौसम बेमौसम यहाँ पे ,
दिल प्यार से खिलखिलाता हो जहाँ पे ,
मिल जाए झीलों का शहर हमें भी ,
बनाएं तेरे मेरे प्यार का आशियाँ वहाँ पे।

क्या ऐसा भी कोई मंज़र होगा ?

.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 790

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2014 at 10:16am

नाज़ुक मनोंभावों की यथा अभिव्यक्ति...

पर एक कविता मात्र मनोभावों की अभिव्यक्ति नहीं होती, बहुत कुछ और भी समाहित होता है कविता में... प्रयासरत रहें 

शुभकामनाएं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 9, 2014 at 12:37am

बहुत बढिया प्रयास हुआ है. रचनाओं को पोस्ट करने के पूर्व उन्हें एक-दो दफ़े इत्मिनान से पढ़ लिया करें.

शुभेच्छाएँ

Comment by M Vijish kumar on January 5, 2014 at 6:28pm

आदरणीय अरुन जी, बहुत धन्यवाद् आपका, मई गलतियां सुधारने कि कोशिश ज़रूर करूँगा।  वैसे मेरी हिंदी बहुत ज्यादा कमज़ोर है। 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 5, 2014 at 5:08pm

आदरणीय कुमार भाई जैसे :-

याद में तेरी आँखों से आँसु छलक जाते , (आँसु नहीं आंसू)

सुलघति हुई गलियों में होगा चलना , (सुलघति नहीं सुलगती)

Comment by M Vijish kumar on January 5, 2014 at 1:57pm

आदरणीय  अरुन शर्मा 'अनन्त' जी , आपकी टिपण्णी  धन्यवाद , मई ज़रूर प्रयास करूंगा,  निवेदन है कि जो त्रुटियाँ मुझसे हुई उसे कैसे सुधारूँ ये बताने कि करें , धनवाद। 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 5, 2014 at 11:11am

आदरणीय विजय जी बहुत अच्छा प्रयास किया हुई आपने प्यार की तकरार, विरह की वेदना, दर्द भरी रचना. कंटक त्रुटियों को ठीक कर लें. बधाई इस प्रयास पर.

Comment by M Vijish kumar on January 5, 2014 at 9:37am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आदरणीय बृजेश नीरज जी , बहुत बहुत धन्यवाद। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 5, 2014 at 6:48am

आदरणीय विजिश जी , एक अच्छी कविता रचना के लिये आप्को बधाइयाँ ॥

Comment by बृजेश नीरज on January 4, 2014 at 11:45pm

बहुत ही सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by M Vijish kumar on January 4, 2014 at 1:14pm

आपका ह्रदय से धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service