जो पीने को दिल के पैमाने में मिलता है ।
वो जाम मोहब्बत के मैखाने में मिलता है ।
ना होश न खबर कोई मस्ती है खुमारी है ,
ये इल्म फकीरों के अफ़साने में मिलता है ।
सब झूठ ही कहते हैं कि शम्मा जलती है ,
जलने का हुनर फकत परवाने में मिलता है ।
कुछ मज़ा दीवाने को आता है तड़पने में ,
कुछ लुत्फ़ उन्हें भी तो तड़पाने में मिलता है ।
ये समझ ले जो तूने दिल में ही नही पाया ,
वो मन्दिर मस्जिद ना बुतखाने में मिलता है ।
जिसे खोज खोज कर तुम कभी खोज नही पाये ,
वो खुदा तुम्हारे ही खो जाने में मिलता है ।
मौलिक व अप्रकाशित
नीरज 'प्रेम'
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ना होश न खबर कोई मस्ती है खुमारी है ,
ये इल्म फकीरों के अफ़साने में मिलता है ।
जिसे खोज खोज कर तुम कभी खोज नही पाये ,
वो खुदा तुम्हारे ही खो जाने में मिलता है...... वाह उम्दा हार्दिक बधाई आपको /
नीरज जी आपकी गज़ल की अन्तिम चार पंक्तियाँ दिल को भा गईं | |वो खुदा तुम्हारे खो जाने में ही मिलता हे | बहुत सुन्दर लिखा \
आदरणीय नीरज ' प्रेम ' भाई , बहुत सुन्दर , सच्ची और अच्छी भावाभिव्यक्ति है. बहुत बधाइयाँ .
अच्छी भावाभिव्यक्ति है नीरज जी बहुत बढ़िया प्रयास है शुभकामनायें
जिसे खोज खोज कर तुम कभी खोज नही पाये ,
वो खुदा तुम्हारे ही खो जाने में मिलता है ।......बहुत खूब. बधाई आपको नीरज भाई. सादर
आदरणीय नीरज ' प्रेम ' भाई , बहुत सुन्दर,,शानदार,,,क्या बात है,,,बधाई आपको,,,
आदरणीय नीरज ' प्रेम ' भाई , बहुत सुन्दर , सच्ची आध्यात्मिक बातें कही है , आपको बहुत बधाइयाँ ॥
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