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आने वाले साल का हर दिन हो शुभ !

मुट्ठी से रेत की तरह
फिसल गया ये साल भी
पिछले साल की तरह,
वही तल्खियाँ, रुसवाइयाँ,
आरोप, प्रत्यारोप,बिलबिलाते दिन
लिजलिजाती रातें, दर्द, कराहें
दे गया सौगात में |

सोचा था पिछले साल भी
होगा खुशहाल, बेमिशाल
लाजवाब आने वाला साल,
भर लूँगी खुशियों से दामन
महकेगा फूलों से घर आँगन
खुले केशों से बूँदें टपकेंगी
दूँगी तुलसी के चौरा में पानी
बन के रहूँगी राजा की रानी |


हो गया फिर से आत्मा का चीरहरण
केश तो खुले पर द्रोपदी की तरह
कराहों, चीखों से भर गया घर आँगन
आपमान की ज्वाला से दहकने लगा दामन
भर गया रगों में नफरत का जहर
हाहाकार कर उठा अंतर्मन, पर  
रह गई मन की बात मन में
कह ना सकी किसी से अपनी उलझन |

लो आ गया फिर से नया साल

जागी है फिर से दिल में आस
लाएगा खुशियाँ अपार
मिटेगा मन से संताप
दहकाए न कलुषित शब्दों का ताप
दे ये नया साल खुशियों की सौगात |

हो, माँ शारदे की अनुकम्पा
बोल उठें शब्द बेशुमार
मेघ घननघन बरसे
कल-कल सरिता बहे
धरती धनी चूनर ओढ़े  
फिर,
नाच उठे मन मयूर
शब्द झरें बन कर फूल
गाये पपीहा मंगल गीत
आने वाले साल का
हर दिन हो शुभ !!!

मीना पाठक 
मौलिक /अप्रकाशित 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on January 7, 2014 at 9:46pm

हो, माँ शारदे की अनुकम्पा 
बोल उठें शब्द बेशुमार 
मेघ घननघन बरसे 
कल-कल सरिता बहे
धरती धनी चूनर ओढ़े  
फिर,
नाच उठे मन मयूर 
शब्द झरें बन कर फूल 
गाये पपीहा मंगल गीत 
आने वाले साल का 
हर दिन हो शुभ !!!

अति सुन्दर, नव वर्ष सबके लिए मंगलमय हो...................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 7, 2014 at 9:08pm

आदरणीया मीना जी बहुत खूबसूरत भावभिव्यक्ति है बधाई स्वीकार करें

Comment by coontee mukerji on January 7, 2014 at 6:04pm


नाच उठे मन मयूर
शब्द झरें बन कर फूल
गाये पपीहा मंगल गीत
आने वाले साल का
हर दिन हो शुभ !!!.....आशा ही का दुसरा नाम जिंदगी  है....एक नारी की दुख भरी व्यथा  हृदय व्यथित करदेता है..लेकिन नारी दुख में भी सुख की तलाश कर ही लेती है..... यथा...लो आ गया फिर से नया साल जागी है फिर से दिल में आस
लाएगा खुशियाँ अपार
मिटेगा मन से संताप
दहकाए न कलुषित शब्दों का ताप
दे ये नया साल खुशियों की सौगात |.......आपके ही शब्दों में. सादर.


.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2014 at 5:20pm

आदरणीया मीना जी , नये साल पर आपकी बहुत सुन्दर रचाना के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2014 at 5:13pm

लो आ गया फिर से नया साल जागी है फिर से दिल में आस 
लाएगा खुशियाँ अपार 
मिटेगा मन से संताप 
दहकाए न कलुषित शब्दों का ताप ...बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी ..गुजरा हुआ पूया परिदृश्य सामने आ गया ..इस रचना पर ढेरों बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by अमित वागर्थ on January 7, 2014 at 4:30pm

लो आ गया फिर से नया साल जागी है फिर से दिल में आस
लाएगा खुशियाँ अपार
मिटेगा मन से संताप
दहकाए न कलुषित शब्दों का ताप
दे ये नया साल खुशियों की सौगात आदरणीया मीना जी इस सुन्दर रचना हेतु मेरी हार्दिक बधाई


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2014 at 3:54pm

//हो, माँ शारदे की अनुकम्पा
बोल उठें शब्द बेशुमार
मेघ घननघन बरसे
कल-कल सरिता बहे//

अति सुन्दर, भावपूर्ण अभिव्यक्ति हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें आ० मीना पाठक जी.

Comment by Meena Pathak on January 7, 2014 at 2:56pm

बहुत बहुत आभार आ० श्याम नारायण जी | सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on January 7, 2014 at 2:51pm
नववर्ष पर सुंदर सकारात्मक रचना हेतु बधाई स्वीकारें .......
Comment by Meena Pathak on January 7, 2014 at 2:37pm

सादर आभार आदरणीय अभिनव अरुन जी .. आप को भी नव वर्ष की बहुत बहुत बधाई 

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