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घनाक्षरी छंद - मन हरण

गीत भी लिखे कलम भारती के गान के तो,
कागज भी नाच के ही आन करने लगा

वंदन हजार माँ को छंद ने किये है और 
पंक्ति पंक्ति लिख के ही गान करने लगा 

स्याही शूर वीरता के मंत्र लिखती गयी तो  
अक्षर भी अक्षर का मान करने लगा 

देशप्रेम वाला भाव मन में बसा लिया तो   
शब्द शब्द राष्ट्र को सलाम करने लगा 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

आशीष ( सागर सुमन)  

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Comment

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Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:26pm

इस सुन्दर प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें////सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 4:19pm

अरुन अनन्त जी, आपने किस तथ्य को साझा किया कि घनाक्षरी में तुकान्तता अनिवार्य नहीं है. कृपया साझा करें तो हम सभी को लाभ होगा.

आदरणीय आशीष भाईजी, आपकी घनाक्षरी कथ्य की दृष्टि से भी तनिक और प्रयास मांगती है.  इस प्रस्तुति पर चूँकि आपसे मेरा व्यक्तिगत संवाद बन चुका है अतः आपसे उचित की अपेक्षा है.

सादर

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 10, 2014 at 10:40pm
सुंदर भाव एवं सुंदर छंद
Comment by Ashish Srivastava on January 9, 2014 at 9:58pm

annapurna bajpai  जी आप ने रचना पढ़कर उत्साह बढाया , आभार अनुपमा जी 

Comment by Ashish Srivastava on January 9, 2014 at 9:58pm

अरुन शर्मा 'अनन्त': जी आप ने रचना पढ़कर उत्साह बढाया , आभार मान्यवर  और आपका सुझाव अत्यंत प्रिय है , पुनः आभार ह्रदय से 

Comment by Ashish Srivastava on January 9, 2014 at 9:58pm

Shyam Narain Verma जी आप ने रचना पढ़कर उत्साह बढाया , आभार मान्यवर  और आपका सुझाव अत्यंत प्रिय है , पुनः आभार ह्रदय से 

Comment by Ashish Srivastava on January 9, 2014 at 9:57pm

गिरिराज भंडारी:  आप ने रचना पढ़कर उत्साह बढाया , आभार मान्यवर 

Comment by annapurna bajpai on January 9, 2014 at 6:52pm

आ0 आशीष जी सुंदर घनाक्षरी छंद हुआ है आपको बधाई । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 9, 2014 at 3:07pm

भाई आशीष जी बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है घनाक्षरी छंद पर. भाई जी इस छंद में भाषा का प्रवाह और गति सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है. तुकांतता आवश्यक नहीं किन्तु ऐसा करने से पढ़ने और सुनने वालों को अधिक मधुर लगता है. विधान के हिसाब से बिलकुल सही है. इस सुन्दर प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Shyam Narain Verma on January 9, 2014 at 12:10pm

आदरणीय ,
कवित्त में लय ही मुख्य है | सम प्रयोग बहुत कर्ण मधुर होते हैं |

बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..

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