दिल बड़ी अजीब शय है
खुश हो तो
बहकता है
चहकता है
महकता है
उछलता है
मचलता है
टूटता है तो
हो जाता बेदर्द
देता इंतहा दर्द
कर देता सर्द
खो जाता चैन
कर देता बेचैन
हर दिन हर रैन
.......................
मौलिक व् अप्रकाशित
Comment
सही बात !
आदरणीया, आपने दिलकी सहज स्वभाव की सहज अभिव्यक्ति प्रस्तुत की हैं । इस सु्ंदर प्रस्तुती पर बहुत बहुत बधाई
आ0 सरिता जी बौट सुंदर रचना , बधाई आपको ।
क्या बात है सरिता जी......लाजवाब .......हार्दिक बधाई.
दिल हिंडोले सा खुशियों और गम के दो ध्रुवों के बीच झूलता.....अजीब शय ही है.
शुभकामनाएं
शुक्रिया आदरणीय पवन जी
शुक्रिया जितेन्द्र भाई
शब्दों कि सरलता और बहाव बहुत सुन्दर है।
सुख और दुःख में दिल की स्थिति को बहुत सुंदर व् सरलता से बयां करती रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी
आदरणीया वंदना जी हार्दिक आभार
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