मन के सुख-दुख, पीर भी, कैसे पायें भाव
टिप-टिप अक्षर आज के, टेक्स्ट हुए बर्ताव
चिट्ठी से तब भाव मन, होता था अभिव्यक्त
दिल के आँसू वाक्य थे, शब्द-शब्द थे रक्त
वह भी अद्भुत दौर था, यह भी अद्भुत दौर
’अब’ कार्डों से भाव सब, ’तब’ अमराई बौर
हृदय धड़कता आज भी, टेरे भाव महीन
पर संप्रेषण हो गया, ’यू नो.. आई मीन..’
चला गया जो दौर वो, रह-रह करता हॉण्ट ..
कागज मोनीटर हुए, अक्षर सारे फ़ॉण्ट ..
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-सौरभ
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(मौलिक व अप्रकशित)
Comment
आपने विचारणीय प्रश्न उठाये हैं आदरणीय अखिलेश जी..
सादर
वाह! बहुत सुन्दर! एक नए रूप-रंग के दोहे! खड़ी बोली में भी दोहे लिखे जा सकते हैं, उसके लिए देशज भाषा को ओढ़ना-बिछाना जरूरी नहीं, आपके इन दोहों ने यह सिद्ध कर दिया!
आपको बहुत-बहुत बधाई!
सादर!
रिश्ते-नातों को निभाने के आधुनिक तरीकों पर बहुत सुंदर व् सटीक दोहे, बहुत बहुत बधाई आदरणीय सौरभ जी
आदरणीय सौरभ भाई , रिश्ते निबाहने के आधुनिक तरीक़ों के लिये आपने बहुत खूब सूरत आधुनिक दोहे रचे हैं.वैसे वह समय भी कितना अच्छा था , दिन भर डाकिये का इंतज़ार। खूबसूरत लिखावट में अपने प्रियजनों का शुभ संदेश, दुःख- सुख की बातें एक अनौखी आत्मीयता का अहसास . अब भले ही दूर बैठे कितना ही बतिया लो पर अनौखी आत्मीयता का अहसास नहीं जगाता .
हार्दिक बधाई
इन मजेदार दोहों में गंभीर व्यंग्य छुपा है आदरणीय
अक्षर सारे फ़ॉण्ट ..यह बात बहुत गहराई लिए हुए लगी अक्षर यानि जिसका क्षरण न हो और फॉण्ट मतलब सिर्फ एक स्टाइल अब जिसका क्षरण न हो वह तो इस ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का एक रूप है अत:नित्य हुआ और स्टाइल अनित्य
आदरणीय सौरभ भाई , रिश्ते निबाहने के आधुनिक तरीक़ों के लिये आपने आधुनिक दोहे , बहुत खूब सूरत रचे हैं ॥ सभी दोहे एक से बढ़ के एक हैं ॥ आपको तहे दिल से बधाइयाँ ॥
बदलते समय के साथ साथ तौर तरीके बदलते है पर जीने हमारी भावनाए जुडी होती है वह जब तब याद कर सुख दुख
की अभिव्यक्ति का अहसास जरुर कराते है | इन्ही कल आज और कल पर रचे सुंदर दोहे पढ़कर बचपन की यादे ताजा
हो गयी, जब मै जयपुर से दिल्ली में अपने लघु भ्राता से हर सप्ताह चिट्ठी द्वारा सम्प्रेषण किया करता था और पत्र के
इन्तजार में रहता था | सुन्दर और यथार्थ दोहों के लिए बधाई आदरणीय
आदरणीय सौरभ भाईजी,
सचमुच वह समय कितना अच्छा था , दिन भर डाकिये का इंतज़ार। खूबसूरत लिखावट में अपने प्रियजनों का शुभ संदेश, दुःख- सुख की बातें॥ अब तो मोबाइल फेस बुक में ओके वाव (wow ) जैसे भाव शून्य शब्द और कुछ भी ठीक न होते हुए भी “ आल राइट “ जैसे दिखावे के शब्द ॥ वर्तमान और आनेवाली पीढ़ी की भी हिंदी अंग्रेजी दोनों सड़क छाप / निम्न स्तर की हो गई है। दो वाक्य शुद्ध लिख बोल नहीं पाते , पता नहीं आगे और क्या होगा?
कुछ संदेश देती सुंदर दोहे की हार्दिक बधाई ॥
नादिर भाईजी, आपने सही विशेषण का प्रयोग किया 'नये रूप' के दोहे
इन्हें अनुमोदित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद
हार्दिक धन्यवाद शिज्जू भाईजी
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