For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

श्रवण कुमार ( लघु कथा )

श्रवण कुमार

“आप बड़ी खुशकिस्मत हो भाभी जो आपको इतना हीरे जैसा बेटा दिया भगवान ने । आपकी हर बात मानता है आपका कितना सम्मान करता है, कोई बुरी लत नहीं , कोई गलत रास्ता नहीं, वरना आजकल की औलादें तो बस पूछो ही मत ।“ एक ठंडी सी आह भर कर कामिनी देवी ने अपनी भाभी से कहा । “ हाँ कामिनी तू सच कह रही है, आज कल कहाँ बच्चे बूढ़े माँ बाप की चिंता करते है सच मै बड़ी भाग्यशाली हूँ जो हीरे जैसा बेटा है मेरा , एकदम श्रवण कुमार। “ शीला जी ने अपनी ननद की बात का समर्थन किया ।

आज शीला जी का शव आँगन के बीचो बीच रखा था सब मेहमान एकत्र हो गए थे पर बेटा अभी तक न आया था । लोग फोन पर फोन किए जा रहे थे वो उठता कैसे ? उठाने वाले का ही पता  नही था । वो अपनी रंगीनियों मे मस्त था । 

संशोधित 

 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 961

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 7, 2014 at 11:23am

अंत को क्या कर दिया आपने ? कुछ स्पष्ट ही नहीं हो रहा है. क्या बेटा घर छोड़ कर भाग गया ? क्यों फोन नहीं उठा रहा है ? और, उसका नाम भी श्रवण कुमार की जगह श्रावण कुमार हो गया है.

सादर

Comment by annapurna bajpai on February 5, 2014 at 11:42pm

आदरणीय बृजेश जी मैंने कुछ परिवर्तन किए है अब कथा का कहन बदल गया है । पुनः देखे । 

Comment by बृजेश नीरज on February 2, 2014 at 10:21pm

अच्छी लघु कथा! आपको हार्दिक बधाई!

लघु कथा गद्य की वह विधा है जिसमें कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया जाता है. सपाट बयानी से बचना चाहिए. इस कथ्य को अलग रूप दिया जा सकता था! आदरणीय शुभ्रांशु जी के कहे पर ध्यान दें!

Comment by annapurna bajpai on February 2, 2014 at 9:06pm

आ0 भण्डारी जी , आ0 वंदना जी , आ0 जितेंद्र जी , आ0 कुंती दीदी ,कथा को पसंद कर अपने विचार देने के लिए आप  सभी हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on February 2, 2014 at 9:04pm

आ0 शुभ्रांशु जी आपके कथन से मै भी सहमत हूँ कि एतिहासिक या पौराणिक नायकों का जो चरित्र है मन उसके आस पास ही चरित्र को देखना चाहता है । यहाँ कथा का नायक भी अपनी माँ का पूरा ख्याल रखता है इसी वजह से दोनों स्त्रियाँ आपस मे बात करती हैं तो यही कहती है कि बेटा एकदम श्रवण कुमार जैसा है न कि श्रवण कुमार । अब बात आती है कि उसे शराबी देखने की , यह बात उसके घर के किसी सदस्य को नहीं पता होती है की वह दुहरे व्यक्तित्व का है , जो कि अंत मे उजागर होती है जब उसकी माँ का देहांत हो जाता है और काफी समय व्यतीत होने पर भी जब वह नहीं आता तब उसे खोजा जाता है ।

आशा है आपके  जिज्ञासु प्रश्न का उत्तर दे पाई हूंगी । 

Comment by Shubhranshu Pandey on February 2, 2014 at 5:53pm

आदरणीय अन्न्पूर्णा जी, 

आज कल के युवाओं के रहन सहन और उनके परिवेश पर सुन्दर कथा.

श्रवण कुमार को माता पिता के सेवा भाव के बदले एक नये रुप में प्रस्तुत किया है. ऎतिहासिक या पौराणिक नायकों को अपने चरित्र होते हैं और मन उसी चरित्र के आसपास कथा को बढते हुये देखना चाहता है. श्रवण को बेवडा़ देखना कुछ अलग लगा.

कथा में श्रवण का अचानक पाला बदलना या रुप् बदला कथा के विस्तार में रुकावट लगता है..सुधीजन अपने विचार देंगे.

सादर.

Comment by coontee mukerji on February 2, 2014 at 4:44pm

अन्नपूर्णा जी  (  भंडारी जी की बात को लेकर संस्कार हीन, पश्चिमी सभ्यता मे पले  बच्चों से और क्या उम्मीद कर सकते हैं ........)पशिचम देश में भी संस्कारी परिवार होते हैं...हम बेकार में पश्चिमी सभ्यता को गाली देते है......जबकि उसी सभ्यता को अपनाते जा रहे हैं...वहाँ तो शराब पीकर अपनी मरी माँ की लाश आँगन में बेटा छोड़ता नहीं है. यह बात तो सिर्फ यहाँ होती है और दोष पश्चिमी सभ्यता को दी जाती है....वैसे किसीका भी दोष नहीं है....जब तक हम सही तरीके से किसी सभ्यता के गुण दोष न जान लें.....कुछ न कहना ही बेहतर है.)......आपकी कथा एक  बिगड़े शराबी बेटे की कथा है....संस्कार घर से शुरू होती है.....हम जैसा संस्कार अपने बच्चों को देते हैं...बाद में उसी का फल हमें मिलता है.सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 2, 2014 at 9:43am

आदरणीया मीना दीदी की बातों से पूर्णत: सहमत हूँ, कोई भी माता पिता अपने बच्चों को कभी गलत संस्कार नही देते, ज्यादातर बच्चे ही माता-पिता के लाड़-प्यार का गलत फायदा उठा लेते है.

बहुत बढ़िया सन्देश देती लघुकथा पर बधाई स्वीकारें आदरणीया अन्नपूर्णा जी

Comment by vandana on February 1, 2014 at 9:47pm

बहुत बढ़िया लघुकथा आदरणीया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2014 at 7:12pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी , संस्कार हीन, पश्चिमी सभ्यता मे पले  बच्चों से और क्या उम्मीद कर सकते हैं आप , सुन्दर लघुकथा  के लिये आपको बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service