For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सरस्वती वंदना (गीतिका छंद)

हे भवानी आदि माता, व्याप्त जग में तू सदा ।
श्‍वेत वर्णो से सुशोभित, शांत चित सब से जुदा ।।
हस्त वीणा शुभ्र माला, ज्ञान पुस्तक धारणी ।
ब्रह्म वेत्ता बुद्धि युक्ता, शारदे पद्मासनी ।।

हे दया की सिंधु माता, हे अभय वर दायनी ।
विश्‍व ढूंढे ज्ञान की लौ, देख काली यामनी ।।
ज्ञान दीपक मां जलाकर, अंधियारा अब हरें ।
हम अज्ञानी है पड़े दर, मां दया हम पर करें ।।
---------------------------
मौलिक अप्रकाशित

Views: 787

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on February 10, 2014 at 2:33pm

बहुत ही सुन्दर प्रयास हुआ है जी,भाई ऐसे ही लिखते रहें  .   शुभ  शुभ

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 7, 2014 at 7:54pm

आदरणीय सौरभजी, मात्रा गणना में त्रुटि हुई है इस ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिये हार्दिक आभार । इस पोष्ट में संशोधन के क्या उपाय है?


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2014 at 5:13pm

गीतिका छंद पर संयत प्रयास करने के लिए हार्दिक बधाई, भाई रमेशजी.

अंधियारा और अज्ञानी की मात्रायें छंद की मात्रिकता के हिसाब से क्रमशः ११२२ तथा २२२  होंगी. किन्तु इस तरह से प्रयोग न होने के कारण गेयता भंग हो गयी है. देख लेंगे.

बहरहाल, आपका अभ्यास सुगढ़ है.

शुभेच्छाएँ

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 6, 2014 at 10:56am

आदरणीय अन्पूर्णाजी सादर आभार आपका

Comment by annapurna bajpai on February 6, 2014 at 1:42am

सुंदर अति सुंदर गीतिका छंद माँ चरणों मे अर्पित किया है आपने , बधाई आपको आ0 रमेश कुमार जी । 

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 5, 2014 at 10:22pm
आदरणीय भंडारीजी, जितेन्द्रजी तथा आदरणीया कुतीजी आपलोगो के सराहना के लिये सादर धन्यवाद । आदरणीय भंडारीजी अटकाव दूर करने का प्रयास कर रहा हू । सादर आभार
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2014 at 11:06pm

बसंत पंचमी के पावन पर्व पर बहुत सुंदर रचना , बधाई आदरणीय रमेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 4, 2014 at 10:31pm

आदरणीय रमेश भाई , गीतिका छंद  की सुन्दर प्रस्तुति के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥ अंतिम दो पंक्ति मे पढने मे अटकाव है , मुझे छंद ज्ञान नही है , अतः गुणीजनो राय अनुसार काम करें ॥

Comment by coontee mukerji on February 4, 2014 at 9:55pm

हे दया की सिंधु माता, हे अभय वर दायनी ।
विश्‍व ढूंढे ज्ञान की लौ, देख काली यामनी ।।
ज्ञान दीपक मां जलाकर, अंधियारा अब हरें ।
हम अज्ञानी है पड़े दर, मां दया हम पर करें ।।......आज के पावन पर्व पर माँ शारदे को नमन.रमेश जी,साधुवाद.
---------------------------

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 4, 2014 at 8:56pm

आदरणीया सादर धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service