हे भवानी आदि माता, व्याप्त जग में तू सदा ।
श्वेत वर्णो से सुशोभित, शांत चित सब से जुदा ।।
हस्त वीणा शुभ्र माला, ज्ञान पुस्तक धारणी ।
ब्रह्म वेत्ता बुद्धि युक्ता, शारदे पद्मासनी ।।
हे दया की सिंधु माता, हे अभय वर दायनी ।
विश्व ढूंढे ज्ञान की लौ, देख काली यामनी ।।
ज्ञान दीपक मां जलाकर, अंधियारा अब हरें ।
हम अज्ञानी है पड़े दर, मां दया हम पर करें ।।
---------------------------
मौलिक अप्रकाशित
Comment
बहुत ही सुन्दर प्रयास हुआ है जी,भाई ऐसे ही लिखते रहें . शुभ शुभ
आदरणीय सौरभजी, मात्रा गणना में त्रुटि हुई है इस ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिये हार्दिक आभार । इस पोष्ट में संशोधन के क्या उपाय है?
गीतिका छंद पर संयत प्रयास करने के लिए हार्दिक बधाई, भाई रमेशजी.
अंधियारा और अज्ञानी की मात्रायें छंद की मात्रिकता के हिसाब से क्रमशः ११२२ तथा २२२ होंगी. किन्तु इस तरह से प्रयोग न होने के कारण गेयता भंग हो गयी है. देख लेंगे.
बहरहाल, आपका अभ्यास सुगढ़ है.
शुभेच्छाएँ
आदरणीय अन्पूर्णाजी सादर आभार आपका
सुंदर अति सुंदर गीतिका छंद माँ चरणों मे अर्पित किया है आपने , बधाई आपको आ0 रमेश कुमार जी ।
बसंत पंचमी के पावन पर्व पर बहुत सुंदर रचना , बधाई आदरणीय रमेश जी
आदरणीय रमेश भाई , गीतिका छंद की सुन्दर प्रस्तुति के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥ अंतिम दो पंक्ति मे पढने मे अटकाव है , मुझे छंद ज्ञान नही है , अतः गुणीजनो राय अनुसार काम करें ॥
हे दया की सिंधु माता, हे अभय वर दायनी ।
विश्व ढूंढे ज्ञान की लौ, देख काली यामनी ।।
ज्ञान दीपक मां जलाकर, अंधियारा अब हरें ।
हम अज्ञानी है पड़े दर, मां दया हम पर करें ।।......आज के पावन पर्व पर माँ शारदे को नमन.रमेश जी,साधुवाद.
---------------------------
आदरणीया सादर धन्यवाद
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online