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ऐ आसमान

इन सर्द रातों के

घने कोहरे में

तेरा दीदार नही होता

तेरी गर्म छुअन महसूस होती है

मुझे पता है, तू भी तपड़ता है

तरसता है, व्याकुल है मेरे शुष्क अधरों

को नमी देकर

खुद  नमी पाने को

अपने  शुष्क  अधरों के लिए

 गुनगुनी सी  धूप में

मैं जल रही हूँ

ठंडी  सर-सराती हवाएं

मेरे प्यार के दामन को चीर देती हैं

इतने बड़े दिन की, न जाने कब होगी ?

शीतल शाम

तू आएगा न मेरे पास

तारों भरा गहना लेकर

अपने मिलन की रात को

 मैं तड़प रही हूँ...

 जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व् अप्रकाशित )

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 17, 2014 at 10:08pm

आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सुरेन्द्र जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 16, 2014 at 11:30pm

प्रिय जितेन्द्र भाई आनन्द दायी। क्या कल्पना है श्रृंगार संयोग विरह मिलन की आस
सुन्दर रचना
भ्रमर ५

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 10, 2014 at 9:35pm

आपका ह्रदय की गहराइयों से आभार आदरणीय सौरभ जी, आपकी प्रतिक्रिया शिरोधार्य है स्नेह व् मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 10, 2014 at 9:29pm

रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया, बहुत ख़ुशी देती है आदरणीय विजय जी

//गुनगुनी सी  धूप में

मैं जल रही हूँ// ...............प्रिय के विरह से  सर्दी के मौसम में गुनगुनी सी धूप भी अच्छी नही लगती   

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 10, 2014 at 9:08pm

आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय रमेश जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2014 at 5:09pm

आपके रचनाकर्म पर कहूँ तो आपके लेखकीय आत्मविश्वास से न केवल मेरा मन मुग्ध है बल्कि आपकी इस प्रस्तुति से मैं एक पाठक के तौर पर दंग भी हूँ, भाई जितेन्द्रजी.

तमाम सुझाव और सलाहें फिर कभी..  .. अभी तो बस बधाई-बधाई-बधाई.. !

हृदय की गहराइयों से शुभेच्छाएँ

Comment by vijay nikore on February 6, 2014 at 11:06am

आदरणीय जितेन्द्र जी, इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई। भाव बहुत अच्छे हैं।

//गुनगुनी सी  धूप में

मैं जल रही हूँ//             .... इस पर कुछ प्रकाश डाल सकें तो आभार होगा।

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 6, 2014 at 10:55am

आदरणीय जितेन्द्रजी मर्मस्पर्शी रचना प्रस्तुत किया है आपने बहुत बहुत बधाई

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 6, 2014 at 4:40am

रचना की सराहना व् उत्साहवर्धन के लिए आपका आभारी हूँ आदरणीया अन्नपूर्णा जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 6, 2014 at 4:37am

आपकी उत्साहबर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

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