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'लो'
फिर आ गया बसन्त,
प्रेम का उन्माद लिए,
प्रियतम की याद लिए,

'बसन्त' तो मेरे
मन का भी था,
रह गया उम्र के
उसी मोड़ पर,
लौटा ही नहीं,
जिंदगी उस
फफोले की मानिंद है,
जो रिसता है
आहिस्ता आहिस्ता,
बेइंतहां दर्द के साथ,
परन्तु सूखता नहीं,

नहीं खिलता
मेरे चेहरे पर,
सरसों के फूल का
पीला रंग,
पलाश के फूल
हर बार की तरह
इस बार भी
मुझे रिझाने में
नाकामयाब रहे,

तुम्हारी यादों के
चंद आँसूं,
पलकों पर सजा
'कभी कभी'
इतरा लेती हूँ
'मैं भी'

ओ मेरे जीवन के श्रृंगार,
मेरे पहले प्यार,
'तुम' आओ
तो बसंत आये। .!!अनु!!

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 23, 2014 at 4:24pm

सुन्दर...

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 7, 2014 at 7:16pm

तुम्हारी यादों के
चंद आँसूं,
पलकों पर सजा
'कभी कभी'
इतरा लेती हूँ
'मैं भी'------------------------------ ,ऐसे भी इतराया जाता है वियोग श्रृंगार का सुंदर निरूपण किया है आपने बधाई बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 7, 2014 at 12:04pm

लो को सिंगल कोट या इन्वर्टेड कॉमा में क्यों किया है ?

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 6, 2014 at 2:40pm

आदरणीय , बहुत मार्मिक प्रस्तुति है , आपको हार्दिक बधाई ॥

Comment by Anita Maurya on February 6, 2014 at 8:26am

vijay nikore जी बहुत बहुत आभार आपका 

Comment by Anita Maurya on February 6, 2014 at 8:11am

annapurna bajpaiजी बहुत बहुत शुक्रिया।   

Comment by Anita Maurya on February 6, 2014 at 8:10am

जितेन्द्र 'गीत' जी बहुत बहुत शुक्रिया।   

Comment by vijay nikore on February 6, 2014 at 4:05am

//'बसन्त' तो मेरे
मन का भी था,
रह गया उम्र के
उसी मोड़ पर,
लौटा ही नहीं,
जिंदगी उस
फफोले की मानिंद है,
जो रिसता है
आहिस्ता आहिस्ता,
बेइंतहां दर्द के साथ,
परन्तु सूखता नहीं,//

 

अति सुन्दर अभिव्यक्ति, मन को छू गई। बधाई।

Comment by annapurna bajpai on February 5, 2014 at 11:39pm

बहुत खूब अनीता जी , सुंदर वर्णन । बधाई आपको । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 5, 2014 at 11:16am

नहीं खिलता
मेरे चेहरे पर,
सरसों के फूल का
पीला रंग,
पलाश के फूल
हर बार की तरह
इस बार भी
मुझे रिझाने में
नाकामयाब रहे,

बसंत ऋतू पर  प्रकृति के  सौन्दर्य और   विरह-वेदना  का बहुत सुंदर शब्दों में चित्रण करती पंक्तियाँ , बधाई स्वीकारें आदरणीया अनीता जी 

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