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इक गुलदस्ते की तरह, सजा हमारा देश।

तरह-तरह के लोग हैं, तरह-तरह के वेश।।

 

जाति धर्म के फेर में, उलझ गया इंसान।
प्रेम शांति का मार्ग है, सत्य यही लो जान।।

 

तुम अपनी पूजा करो, औ मैं पढ़ूँ नमाज।

बस इतना ही फर्क है, अपना एक समाज।।

 

मक्कारी औ झूठ से, जो ना आये बाज।

उसकी भाषा लो समझ, पहचानो आवाज।।

(मौलिक व अप्रकाशित)* संशोधित

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Comment by शिज्जु "शकूर" on February 15, 2014 at 5:05pm

आदरणीय डॉ आशुतोष सर आपकी नवाज़िशों के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 15, 2014 at 10:11am

आदरणीय शिज्जू जी पहली बार आपके दोहों को पढने का सौभाग्य प्राप्त हुआ .

तुम अपनी पूजा करो, औ मैं पढ़ूँ नमाज।

बस इतना ही फर्क है, अपना एक समाज।।

.अपने देश की बकालत करता , भारतीय समाज की बिशिस्तता को दर्शाता , जन सामन्य को आगाह करते शानदार दोहों के लिए तहे दिल बधाई ..सादर 


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Comment by शिज्जु "शकूर" on February 15, 2014 at 9:35am

आदरणीय गिरिराज सर आपका हार्दिक आभार


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Comment by गिरिराज भंडारी on February 15, 2014 at 7:42am

आदरणीय शिज्जू भाई , सुन्दर दोहों के लिये  बहुत बधाइयाँ ॥

अच्छे दोहे हैं रचे , खूब कही है बात

सुधरेंगे अब देश के , लगते हैं हालात


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Comment by शिज्जु "शकूर" on February 15, 2014 at 7:21am

मेरी रचना को मान देने एवं हौसला अफ़्ज़ाई के लिये आप सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 14, 2014 at 11:17am

आदरणीय शिज्जू जी, सभी  बहुत सुंदर दोहे हैं . यह दोहा बेहद पसंद आया  हार्दिक बधाई स्वीकारें

मजहब के आधार पे, निर्मित पाकिस्तान।

रहता होगा क्या वहाँ, कोई भी इंसान।।

 

तुम अपनी पूजा करो, औ मैं पढ़ूँ नमाज।

बस इतना ही फर्क है, अपना एक समाज।।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 14, 2014 at 8:45am

बहुत सुंदर दोहे आदरणीय शिज्जू जी, यह दोहा बेहद पसंद आया  हार्दिक बधाई स्वीकारें

तुम अपनी पूजा करो, औ मैं पढ़ूँ नमाज।

बस इतना ही फर्क है, अपना एक समाज।।

Comment by annapurna bajpai on February 13, 2014 at 7:44pm

बहुत सुंदर दोहे , बधाई । 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 13, 2014 at 7:39pm

आ. शिज्जु भाई सुंदर दोहे, दोहे में पकड़ बढ़्ती जा रही है , भाव भी अच्छे हैं , हार्दिक बधाई॥

Comment by Neeraj Neer on February 13, 2014 at 6:51pm

बहुत ही सुंदर दोहे ... काश ये सच हो पाता.. 

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