For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धुंए का गुबार : नीरज नीर

मेरी आँखों के सामने

रूका हुआ है

धुएं का एक गुबार 

जिस पर उगी है एक इबारत ,

जिसकी जड़ें

गहरी धंसी हैं

जमीन के अन्दर.

इसमें लिखा है

मेरे देश का भविष्य,

प्रतिफल , इतिहास से कुछ नहीं सीखने का .

उसमे उभर आयें हैं ,

कुछ चित्र,

जिसमे कंप्यूटर के की बोर्ड

चलाने वाले , मोटे चश्मे वाले

युवाओं को

खा जाता है,

एक पोसा हुआ भेड़िया,

लोकतंत्र को कर लेता है ,

अपनी मुठ्ठी में कैद

और फिर फूंक मारकर

उड़ा देता है उसे

राख की तरह

मानो यह कभी था ही नहीं.

बन जाता हैं स्वयं शहंशाह

टेलीविजन पर बहस करने वाले

बड़े-बड़े बुद्धिजीवि

भिड़ा रहे हैं जुगत ,

अपनी सुन्दर बीवियों और

बेटियों को छुपाने की

धुआं धीरे धीरे नीचे उतर कर

आ जाता है जमीन पर,

पत्थर के पटल पर

मोटे मोटे अच्छरों में दर्ज

हो जाता है इतिहास.

मैं अपनी आँखों के सामने

इतिहास बदलते देख रहा हूँ

नीरज कुमार नीर

मौलिक/अप्रकाशित

.....

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on February 15, 2014 at 9:17am

आदरणीय laxman dhami साहब आपका आभार.

Comment by Neeraj Neer on February 15, 2014 at 9:16am

आ. अन्नपूर्ण बाजपाई जी जी आपका हार्दिक आभार.

Comment by Neeraj Neer on February 15, 2014 at 9:15am

आदरणीया मीना पाठक जी आभार आपका 

Comment by Neeraj Neer on February 15, 2014 at 9:15am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 15, 2014 at 8:50am

बहुत सुंदर रचना आदरणीय नीरज जी, हार्दिक बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 15, 2014 at 7:22am

बहुत बढ़िया रचना आदरणीय नीरज जी बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by vandana on February 15, 2014 at 5:55am
चिंतनीय है यह वर्तमान जो इतिहास की कालिख के रूप में धुँए सा मंडरा रहा है ..लिखा जा रहा है |
बहुत सुन्दर रचना आदरणीय नीरज जी
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 14, 2014 at 11:09am

आदरणीय नीरज भाई, सुंदर रचना हेतु बधाई स्वीकारें ।

Comment by annapurna bajpai on February 13, 2014 at 7:36pm

आदरणीय नीरज जी बहुत सुंदर रचना हेतु बधाई स्वीकारें । 

Comment by Meena Pathak on February 13, 2014 at 6:48pm

बहुत सुन्दर रचना .. बधाई आप को 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
6 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service