For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :-मिस्र वालों ने दिखाई हिम्मत

ग़ज़ल :- मिस्र वालों ने दिखाई हिम्मत

कैद बेशक है आज पिंजर में ,

हौसला है मगर अभी पर में |

 

मिस्र वालों ने दिखाई हिम्मत ,

जी रहे हम न जाने किस डर में |

 

हत परिंदों को बचाता है कौन ,

देव मिलते नहीं हैं अब नर में |

 

धूल जूते की बता देगी तुम्हें ,

कोस कितने चला है दिन भर में |

 

दिल्ली चिर-काल से लुटेरी है   ,

राजधानी करो अमृतसर में |

 

घर में बच्चों को सिखाएंगे क्या ,

घूस जो ले रहे हैं दफ्तर में |

 

बेटियों वाले सहमें होते हैं ,

गुण वो देखेंगे क्या भला वर में |

 

खून खरगोश का हुआ होगा ,

हुस्न निखरा है आपका फर में |

 

कौन 'साये में धूप' ले आया ,

ज्वार उठने लगा समंदर में |

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on February 7, 2011 at 2:51pm
आदरणीय श्री शेष जी एवं वीनस जी बहुत बहुत आभार !!
Comment by वीनस केसरी on February 6, 2011 at 3:28pm
हर शेर बेमिसाल
खुश कर दित्ता
Comment by Abhinav Arun on February 6, 2011 at 10:53am
और इस कहानी में वज़न आप जैसे कद्रदानों से आता है | शुक्रिया |
Comment by आशीष यादव on February 6, 2011 at 10:26am
कैद बेशक है आज पिंजर में ,

हौसला है मगर अभी पर में |

हत परिंदों को बचाता है कौन ,

देव मिलते नहीं हैं अब नर में |

 

धूल जूते की बता देगी तुम्हें ,

कोस कितने चला है दिन भर में |

घर में बच्चों को सिखाएंगे क्या ,

घूस जो ले रहे हैं दफ्तर में |

बेटियों वाले सहमें होते हैं ,

गुण वो देखेंगे क्या भला वर में |

इस ग़ज़ल की भी क्या रवानी है,
हर इक शे'र इक कहानी है||

Comment by Abhinav Arun on February 6, 2011 at 9:33am
आदरणीया वंदना जी आपके शब्द मेरे लिये प्रोत्साहन हैं | शुक्रिया |
Comment by Abhinav Arun on February 5, 2011 at 10:58am
शुक्रिया राणा जी |हौसला बढ़ाया है आपने और ओ.बी.ओ. ने भी मेरा |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on February 5, 2011 at 9:58am

कौन 'साये में धूप' ले आया ,

ज्वार उठने लगा समंदर में |

 

"साये मे धूप" की राह पर ही अग्रसर है आपकि लेखनी। बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service