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जमीं पर आसमां उतर आया...

मेरे जब वो करीब आती है
सांस रुककर हमें सताती है
बात दिल की जो कहना चाहूं तो
बात कुछ और निकल जाती है।।

ये जो चिट्ठी किसी की आई है
अब वो अपनी नहीं पराई है
खाक मिलता है मुझे जिंदगी से
जिंदगी जून है जुलाई है।।

उनका चेहरा जब नजर आया
मेरी बातों में तब असर आया
करने इजहार अपनी प्रेयसी से
जमीं पर आसमां उतर आया।।

- मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2014 at 7:05am

उनका चेहरा जब नजर आया
मेरी बातों में तब असर आया
करने इजहार अपनी प्रेयसी से
जमीं पर आसमां उतर आया।

बहुत खूब , आदरणीय ,हार्दिक बधाई .

Comment by atul kushwah on February 16, 2014 at 5:28pm

आदरणीय मीना जी, आपकी प्रेरणा मेरा उत्साह बढाती है। सादर— अतुल

Comment by Meena Pathak on February 16, 2014 at 11:38am

बहुत सुन्दर रचना .. बधाई आप को 

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