For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पढ़े लिखे कुछ लोग भी, दे हैरत में डाल।

बेटी भी औलाद है, फिर क्यूँ करे बवाल।।

 

इतनी छोटी बात भी, समझे ना इंसान।

बेटी जन्में पुत्र को, रखते कुछ तो मान।।

 

बेटी मेरा खून है, बेटी मेरी जान।

बेटी से ये सृष्टि है, बेटी से इंसान।।

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 937

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 24, 2014 at 9:03pm

आदरणीय सौरभ सर ये सब आपका ही मार्गदर्शन है जिसकी वजह से मैं कुछ कर पा रहा हूँ आपका बहुत बहुत शुक्रिया
सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 22, 2014 at 8:02pm

भाई शुज्जूजी, आपके दोहों में जिस गहनता से सार्थक विचारों की अभिव्यक्ति हुई हैं. आपके कथ्य बरबस ध्यान खींचते हैं. उन्नत विचारों से पगे इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.
आपके दोहों में धीरे-धीरे अपेक्षित निखार आ रहा है. यह आपकी संलग्नता का ही परिचायक है. शुभेच्छाएँ .. .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 4, 2014 at 8:02pm

आदरणीया डॉ प्राची जी आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 4, 2014 at 1:58pm

समाज में बेटियों को जन्म से पूर्व ही मार दिया जाना, बेटा न जन्मने पर महिलाओं को ताने देना, बीटा और बेटी में भेदभावपूर्ण व्यवहार होना ...ये कुछ ऐसी ह्रदय को चीर देती कटु सच्चाइयां हैं जो किसी भी संवेदनशील ह्रदय को झकझोर देती हैं, क्रंदित कर देती हैं... आखिर क्यों नहीं समझते ये लोग बिटिया का मोल ?

इसी संवेदना को संजोकर बिटिया की मान में बहुत सुन्दर दोहे प्रस्तुत किये हैं आ० शिज्जू भाई जी 

प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 4, 2014 at 8:40am

रचना की सराहना के लिये आप सभी का तहेदिल से आभार

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 2, 2014 at 1:14pm

आदरणीय शिज्जु  भाई,

सुंदर दोहे की हार्दिक बधाई । बेटी पर कम से कम  दो दोहे और लिखते तो और अच्छा लगता , तीन दोहे कुछ कम पड़ गये.
.........सादर 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 2:43pm

वाह वाह बहुत बधाई आपको शिज्जू जी 

Comment by annapurna bajpai on February 24, 2014 at 6:52pm

वाह ! बहुत खूबसूरत दोहे , बधाई आपको । 

Comment by नादिर ख़ान on February 23, 2014 at 10:38pm

बहुत उम्दा दोहे हैं, आदरणीय  शिज्जु भाई ..

आपकी सुंदर सोच को बयाँ करते शानदार दोहे ...

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 23, 2014 at 10:26am

सुन्दर और सार्थक दोहे रचे है, बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service