For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या तुम्हे भी...? (अतुकांत)

तुम बिन

तन्हा-तन्हा सी साँसें

पल-पल गुजरता रहा

वरष के जैसा

बेचैनी की धीमी-धीमी आग में

बसंत बीत ही गया

न जाने कैसे कटेगा..?

रंगों का महीना

तुम बिन तो है

बे-रंग सा फाल्गुन

दिन तो काटने ही हैं

इस तरह क्यों न थका लूँ तन को

कि शाम तक

चूर हो जाय !

ये तन्हा रातें

बिन करवट ही

बीत जायें ।

इस तन्हाई को मेरे भाग्य ने ही सौंपा है मुझे
क्या तुम्हें भी..?

      जितेन्द्र 'गीत'

 (मौलिक व् अप्रकाशित)

 

Views: 802

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on March 5, 2014 at 8:24pm

बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई 

Comment by S. C. Brahmachari on March 5, 2014 at 6:23pm
फागुन मे तनहाई के दर्द को अच्छी अभिव्यक्ति दी है आपने, भाई जीतेंद्र जी ! बधाई !
Comment by kalpna mishra bajpai on March 5, 2014 at 6:09pm

सर, सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर !!!!!!!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 5, 2014 at 5:46pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी ..इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें ..सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 5, 2014 at 4:36pm

इस तन्हाई को मेरे भाग्य ने ही सौंपा है मुझे 
क्या तुम्हें भी..

शायद 

सादर बधाई 

आदरणीय 

Comment by Sarita Bhatia on March 5, 2014 at 4:36pm

अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 5, 2014 at 3:14pm

आदरणीय जीतेन्द्र भाई , बहुत सुन्दर ॥ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Shyam Narain Verma on March 5, 2014 at 3:06pm
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह वाह वाह आदरणीय नीलेश जी, क्या खूबसूरत शायरी हुई है। दूसरे शेर पर कई  सदस्यों असहमति जताई…"
9 seconds ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी आपका हार्दिक आभार"
16 seconds ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़जल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
1 minute ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय दयाराम जी, ग़ज़ल को वक्त देने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया"
1 minute ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. लक्ष्मण धामी जी"
2 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरिराज सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
2 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. गजेन्द्र जी बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है। ढेरों दाद स्वीकार करें। तिश्नगी से मर न जाए अक्स बेचारा…"
3 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीया ऋचा जी, आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
3 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज कपूर सर, ग़ज़ल आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत शुक्रिया, वाकई ग़ज़ल में सुधार की…"
4 minutes ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत  खुबसूरत ग़ज़ल हुई है। बहुत अच्छे मयारी शेर कहे हैं आपने।"
9 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत गूढ़ गजल हुई है । विचार, तथ्य और शब्दों का चयन बहुत कुछ सीखने को…"
12 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गजेन्द्र श्रोत्रिय जी, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
12 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service