For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - हमें ही वोट दो कहकर वो पास आने लगे - इमरान

जो पाँच साल दहाड़े थे गिड़गिड़ाने लगे,
हमें ही वोट दो कहकर करीब आने लगे।

तुम्हारी ज़ात के नेता हैं हम तुम्हारे हैं,
ग़रीबों को ये बताकर गले लगाने लगे।

तुम्हारा हाल बदल देंगे एक मौका दो,
गली गली उसी ढपली को फिर बजाने लगे।

जो भीड़ आई है रैली में, है किराये की,
वो जिसके ज़ोर पे क़द को बड़ा दिखाने लगे।

बहा के ख़ून के दरिया सभी सियासतदां,
हर एक ख़ून के क़तरे से फ़ैज़ उठाने लगे।

ये देस लूट रहे हैं हमारे नेता जी,
जिसे आज़ाद कराने में थे ज़माने लगे।

हमारा मुल्क अभी भी जहाँ से बेहतर है,
जो लूट की है सियासत अगर ठिकाने लगे।


"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 773

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by इमरान खान on April 3, 2014 at 2:14pm
जनाब वीनस साहब हौसला अफज़ाई का शुक्रिया।

मैंने ख़ामोश वगैरा को 121 पर बँधे देखे हैं उसी तर्ज़ पर आज़ादी को भी बाँधा है।

'अभी' के साथ 'भी' का इस्तेमाल आम बोलचाल और समाचार पत्र पत्रिकाओं में तो होता ही है, हिंदी काव्य में भी किये जाने के उदाहरण हैं। यहाँ भी भर्ती का है मुझे अंदाज़ा भी नहीं था।

दोनों प्रयोग अगर ग़लत हैं तो बताइयेगा मैं सुधार कर लूँगा।

सादर
Comment by इमरान खान on April 3, 2014 at 1:45pm
मोहतरमा प्राची साहिबा आगे से हर गज़ल की बह्र भी साझा करने का वादा करता हूँ, शुक्रिया आपका।
Comment by इमरान खान on April 3, 2014 at 1:43pm
सराहना के लिए धन्यवाद सौरभ भाई, सटीक टिप्पणियाँ ही तो रचनाओं के गहने होती हैं :-)

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 7:24pm

बात तो सही है आपकी. बढिया ग़ज़ल हुई है. लेकिन इस ग़ज़ल पर कुछ सटीक टिप्पणियाँ भी आयी हैं. .. :-)))

शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 24, 2014 at 11:16am
ग़ज़ल के साथ बह्र भी अवश्य ही सांझा किया करें आ० इमरान खान जी नहीं तो कभी कभी बहर जान पाना मुझे सुडोकु हल करने जैसा लगने लगता है :))

सियासती रंगों को सशक्तता से प्रस्तुत किया है, सभी अशआर पसंद आये..

हार्दिक बधाई
Comment by वीनस केसरी on March 24, 2014 at 1:44am

अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई जी बधाई स्वीकारें

आजाद को १२१ मात्रा में बाँधना कितना उचित है ?
अभी भी ,,,, में भी भर्ती का दिखता है

Comment by इमरान खान on March 18, 2014 at 12:45am

तहे दिल से आपका शुक्रिया राजेश कुमारी साहिबा ग़ज़ल को पसंद फरमाने के लिए.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 14, 2014 at 8:28pm

बहुत बढ़िया जबरदस्त कटाक्ष किया है ग़ज़ल में इमरान भाई जी ,बहुत खूब तहे दिल से दाद कबूलें. 

Comment by इमरान खान on March 13, 2014 at 10:43pm

जनाब जीतेन्द्र गीत साहब पुरखुलूस शुक्रिया.

Comment by इमरान खान on March 13, 2014 at 10:30pm

जनाब भाई शिज्जू शकूर साहब आपको ग़ज़ल पसंद आई, तहे दिल से शुक्रिया.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service