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हुये रोशनी के प्रतीक जो , वो अँधेरों से हैं घिरे हुये
ये कहो नही, जो कहे अगर, तो ये जान लें कि गिले हुये
न ही दर्द की कोई जात है, न ही शादमानी की कौम है
ये सियासतों की है साजिशें , जो हैं बांटने को पिले हुये
कोई क्या करे, कि निजाम में, है घुटन बहुत जो भरी हुई
कभी सोच कैद किये मेरे , कभी होठ भी थे सिले हुये
मेरा गम नही, कोई हंस है ,किया नीर क्षीर अलग अलग
जो मेरे कभी थे वो दूर हैं , लगे ग़ैर थे वो मिरे हुये
है हवा भरी हुई ज़ ह्र से , है फ़िज़ा फ़िज़ा हुई शाजिशें
मुझे उन गुलों की भी फ़िक्र है, लगे आज हैं जो खिले हुये
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
बहुत शानदार ग़ज़ल कही है
जीवन की बहुत गहरे छूती सच्चाइयों को पूरी संवेदना के साथ प्रस्तुत किया है
इस कठिन बह्र को साध कर प्रस्तुति देने के लिए विशेष बधाई
सभी अशआर पसंद आये
शुभकामनाएं
आदरणीय सौरभ भाई , आपने मुक्त कण्ठ की सराहना की , रचना कर्म सार्थक हुआ , सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
आपकी इस ग़ज़ल की मैं किन शब्दों में प्रशंसा करूँ, भाईजी ! जिस ऊँचाई पर यह ग़ज़ल पहुँच रही है, वहाअपके अबतक गहन के प्रयासों का ही नतीजा है. इन अश’आर पर आपको विशेष बधाई दे रहा हूँ.
कोई क्या करे, कि निजाम में, है घुटन बहुत जो भरी हुई
कभी सोच कैद किये मेरे , कभी होठ भी थे सिले हुये
मेरा गम नही, कोई हंस है ,किया नीर क्षीर अलग अलग
जो मेरे कभी थे वो दूर हैं , लगे ग़ैर थे वो मिरे हुये
है हवा भरी हुई ज़ ह्र से , है फ़िज़ा फ़िज़ा हुई शाजिशें
मुझे उन गुलों की भी फ़िक्र है, लगे आज हैं जो खिले हुये
आ. सचिन भाई , ग़ज़ल की तारीफ के लिये आपका बहुत शुक्रिया ॥
आदरणीय गिरिराज जी, बेहद खूबसूरत गजल पेश की आपने हार्दिक बधाई आपको !
आदरणीय आशुतोष भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के ल्लिये आपका आभारी हूँ ॥
आदरणीय अभिनव अरुण भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति आनन्द दायक है , आपका बहुत आभार ॥
ही दर्द की कोई जात है, न ही शादमानी की कौम है
ये सियासतों की है साजिशें , जो हैं बांटने को पिले हुये
है हवा भरी हुई ज़ ह्र से , है फ़िज़ा फ़िज़ा हुई शाजिशें
मुझे उन गुलों की भी फ़िक्र है, लगे आज हैं जो खिले हुये..आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..काफ्फी अरसे तक आपकी बेहतरीन रचनाओं से बंचित था आज फिर आपकी शानदार ग़ज़ल पढने को मिली ..ये दो शेर तो मुझे बेहद पसंद आये ..सादर ..देर से ही सही होली की शुभकामनाओं के साथ
हर एक शेर उम्दा आदरणीय हार्दिक बधाई इस मुकम्म्ल ग़ज़ल के लिए !!
आदरणीय गणेश भाई , आपकी उपस्थिति मात्र ही मेरे लिये खुशी और उत्साह का कारन है , उपर से आपकी सराहना भी मिली , दोहरी खुशी देने के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
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