For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जुड़े रहे सम्बन्ध (दोहे)- लक्ष्मण लडीवाला 

==============

संस्कारी बच्चे बने,बुजुर्ग बने सहाय,

चले राह सन्मार्ग की, वैभव बढ़ता जाय |

 

मान बढे सहयोग से, सबका हल मिल जाय,    

सद्गुण अरु सम्पन्नता, प्रतिदिन बढती जाय |         

 

साथ रहे तो लाभ है, युवा समझते आज,

आजादी भी चाहते,  ये तनाव का साज |

 

बंधिश इतनी ही रहे, टूटे नहि तटबंध   

वीणा जैसे तार ये, जुड़े रहे सम्बन्ध |

 

मन में भरे विकार से, आपस में हो रंज

इसी वजह परिवार में, कसते रहते तंज |     

 

एकल घर परिवार में, पले बढे जो लोग,

रहते है अवसाद में, सतत सतावे रोग | 

 

दो पीढ़ी के मध्य में, रहे सोच में फर्क 

सब सदस्य करते रहे, देखो खूब वितर्क |

तालमेल बैठे नहीं, लगे ह्रदय को जर्क,

तभी संयुक्त परिवार में,बढ़ता जाए तर्क |      

 

बंधिहुई ही जब तलक, संबंधों की डोर,  

रहे सभी का मान तो, रहे ह्रदय में ठौर |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 1049

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sachin Dev on March 26, 2014 at 1:33pm

आदरणीय लछमन प्रसाद जी , आज के परिवेश मैं बेहद सटीक सन्देश देते दोहों पर आपको हार्दिक बधाई ! 

Comment by Sarita Bhatia on March 26, 2014 at 10:32am

आदरणीय लक्ष्मण जी संदेशात्मक दोहावली के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 26, 2014 at 10:12am

बहुत सुंदर संदेशप्रद दोहावली. सच! संयुक्त परिवार में युवा पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलता है उनका मनोबल भी बढ़ता है

एकल घर परिवार में, पले बढे जो लोग,

रहते है अवसाद में, सतत सतावे रोग.........यह दोहा बहुत गहरे दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया आपने, आपके अनुभव को नमन आदरणीय लक्ष्मण जी

Comment by annapurna bajpai on March 25, 2014 at 10:28pm

क्या खूब दोहे है संयुक्त परिवारों की महत्ता को बखान करते हुये । आज की पीढ़ी को सचमुच ये समझने की आवश्यकता है । आपको बहुत बधाई आ0 लड़ी वाला जी । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service