रिपोर्ट :- 'हीरे जैसी धार' बनाम कथ्य शिल्प -०४
कथ्य शिल्प की चौथी मासिक कवि गोष्ठी दिनांक ०८ फरवरी २०११ को काशी के पराडकर भवन में आयोजित की गयी | अध्यक्षता पंडित श्रीकृष्ण तिवारी ने की | विशिष्ट अतिथि के रूप प्रख्यात समीक्षक द्वय डॉ. रामसुधार सिंह और डॉ. जीतेंद्र नाथ मिश्र उपस्थित थे | इस बार गोष्ठी में गणेश गंभीर के काव्य संग्रह "हीरे जैसी धार " और श्री प्रकाश श्रीवास्तव के ग़ज़ल संग्रह "रोशनी कैद हुई कातिलों की मुठ्ठी में " का विमोचन भी हुआ | इन पुस्तकों पर युवा कवि व्योमेश शुक्ल ने विचार रखे |
समीक्षक डॉ राम सुधार ने कहा कि आज के अधिकाँश शायर - कवि अपनी रचनाओं में सपाट बयानी करते दिख रहे हैं | उन्हें रचना कर्म में गंभीरता लाने की ज़रूरत है |साथ ही अपनी परम्पराओं और मिथकों से भी पाठकों को एक रचनाकार को रूबरू कराना चाहिए |
अबकी दस रचनाएँ पढ़ने की बारी धर्मेन्द्र गुप्त साहिल की थी उन्होंने अपनी दस उत्कृष्ट ग़ज़लों का पाठ किया | तत्पश्चात अजीत श्रीवास्तव के सञ्चालन में उपस्थित अन्य रचनाकारों सर्वश्री नरोत्तम शिल्पी , अजय सिंह अवाक , अभिनव अरुण , डॉ मंजरी पाण्डेय , डॉ अत्री भारद्वाज ,रोशन अली रोशन ,राम नरेश महंगावी आदि कवियों शायरों ने रचना पाठ किया |धन्यवाद ज्ञापन विश्वास गुर्दे ने किया |
(मेरी इन रिपोर्टों का उद्देश्य मात्र उन गतिविधियों से साथियों को अवगत कराना है जो काशी में यथा समय होती है और जिनमे मैं उपस्थित रहता हूँ |)
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