चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?
तुम सुंदर हो , तुम भोले हो
नटखट तुम हो बहुत सलोने ।
रूठ - रूठ जाते क्यूँ मुझसे ?
छुप छुप कर बादल के कोने ।
तुम बादल से झांक झांक कर, अपना रूप दिखाते क्यूँ हो
चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?
मुझसे स्नेह नहीं है, मानूँ –
तुम छुप जाओ नज़र न आओ ।
चंद्र बदन ढँक लो तुम अपना
मेरी बगिया नज़र न आओ ।
आँख मिचौली खेल खेल कर, रह रह मुझे रिझाते क्यूँ हो
चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?
इस आँगन मे आ इतराते
कभी झरोखे से झाँको तुम ।
ऐसा लगता मुझको हर पल –
मौन निमंत्रण हो देते तुम ।
ऐसी बात नहीं गर बोलो , चंद्र किरण बिखराते क्यूँ हो ?
चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?
.
----- मौलिक एवं अप्रकाशित -----
Comment
बहुत सुंदर, मनभावन रचना आदरणीय ब्रह्मचारी जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें
बहुत सुन्दर गीत रचना | हार्दिक बधाई श्री ब्रह्मचारी जी
बहुत खूब !! आ0 ब्रम्ह्चारी जी , बधाई आपको इस रचना के लिए ।
आदरणीय ब्रम्हचारी सर ...इसे रचना को गुनगुनाने में बहुत आनंद आया ..मेरी तरफ से तहे दिल बधाई स्वीकार करीं सादर
ऐसा लगता मुझको हर पल –
मौन निमंत्रण हो देते तुम ।
ऐसी बात नहीं गर बोलो , चंद्र किरण बिखराते क्यूँ हो ?
चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?
नटखट चाँद पर सुंदर रचना, हार्दिक बधाई
आ0 बृह्मचारी जी, वाह! बहुत खूबसूरत भाव, अच्छा लगा। बधाई स्वीकारें। सादर,
बहुत सुन्दर ..
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online