Comment
आ० प्रज्ञा जी
माँ की पावनता को समर्पित सुन्दर भाव चित्र ... पर इस अभिव्यक्त मूल भावना को अभी काव्य में ढलना है.. मंच की अन्य रचनाओं को भी अवश्य ही पढ़ती चलें.. स्वाध्याय स्वतः ही समयानुसार रचनाओं में आवश्यक अवयव उपलब्ध कराता है
श्रद्धा सही शब्द है 'श्रृद्धा' नहीं ....इसे भी सुधार लें
इस प्रयास पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं
माँ के प्रति आपकी इस भावना को नमन बाकि आ० शरदिंदु जी की बात का मैं भी समर्थन करती हूँ |
आदरणीया, माँ के प्रति आपकी निश्छल भावनाओं का मैं सम्मान करता हूँ और आपके इस प्रयास के लिए साधुवाद देता हूँ....लेकिन...हालाँकि काव्य रचना पर किसीको शिक्षित करने की धृष्टता नहीं कर सकता...यह प्रस्तुति रचनाकार से और समय मांगती है यदि इसे बाल कविता के स्तर से उठकर गम्भीर कविता की धारा में अपना स्थान बनाना है. सादर शुभकामनाएँ.
प्रज्ञा जी बहुत ही प्यारा भाव काश सब संतान आप सा ही माँ के लिए सोचें और मान दें
सुन्दर
भ्रमर ५
वास्तव में इस सृष्टि का सब से सुंदर प्राणी माँ ही होती है.....आपने माँ को इतना बड़ा स्थान देकर अपनी लेखनी को बहुत बड़ी मान दे दी है.
साधुवाद.
वाह बेहद सुन्दर कविता माँ पर कही गयी पंक्तियों की तारीफ कर सके ऐसे शब्द कम से कम हमारे पास नही बस नमन है माँ को
सुन्दर भाव ... माँ को प्रणाम
सुंदर भाव लिए, उत्तम रचना के लिए बधाई .... |
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