For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी साँसों में तुम ही हो,मेरा अन्दाज भी हो तुम

मेरी धडकन में हो तुम ही,मेरी आबाज भी हो तुम

मेरी साँसों में तुम ही हो,मेरा अन्दाज भी हो तुम 

यहाँ है अब तलक चर्चा हमारी ही मुहब्बत का

मगर मत भूल जाना तुम ,मेरे हमराज भी हो तुम

तुम्हारे ही निशाने पर रहा हूँ मैं हमेशा ही

कभी लगता है क्यों मुझको निशानेबाज भी हो तुम

कभी पल भर मैं ठहरा था, तेरी जुल्फों के साये मे
मुझे अहसास है अब तक ,मेरे सरताज भी हो तुम

गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं

नहीं फिर लौटकर आये ,वहानेबाज भी हो तुम

उमेश कटारा

मौलिक एंव अप्रकाशित

Views: 704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on April 19, 2014 at 8:31pm

तहेदिल से शुक्रिया अरुन शर्मा जी 

Comment by umesh katara on April 19, 2014 at 8:31pm

तहेदिल से शुक्रिया सविता जी 

Comment by savitamishra on April 19, 2014 at 7:53pm

गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं

नहीं फिर लौटकर आये ,वहानेबाज भी हो तुम.......bahut khubsurat

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 19, 2014 at 5:38pm

आदरणीय उमेश भाई जी बहुत ही खूबसूरत अशआर बन पड़े हैं बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by umesh katara on April 18, 2014 at 8:41pm

शुक्रिया गिरिराज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 18, 2014 at 5:12pm

आदरणीय उमेश भाई , खूब सूरत ग़ज़ल के लिये आपको दिली बधाइयाँ !!

Comment by umesh katara on April 18, 2014 at 8:43am

दिल से शुक्रिया जितेन्द्र जी इस हौसलाअफजाई के लिये

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 18, 2014 at 8:42am

बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीय उमेश जी

कभी पल भर मैं ठहरा था, तेरी जुल्फों के साये मे
मुझे अहसास है अब तक ,मेरे सरताज भी हो तुम

गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं

नहीं फिर लौटकर आये ,वहानेबाज भी हो तुम...............बहुत सुंदर , दिली बधाई स्वीकारें

Comment by umesh katara on April 18, 2014 at 7:33am

शुक्रिया वेदिका जी कृपया त्रुटियों को स्पष्ट इंगित करें जिससे की अपेक्षित सुधार किया जा सके 

Comment by वेदिका on April 18, 2014 at 12:56am
अच्छे प्रयास के लिए शुभकामनाएं प्रेषित है आ0 उमेश जी! कंटक त्रुटियों की ओर ध्यान दें तो प्रयास में और भी इजाफा होगा।
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service