For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र : रमल मुसम्मन महजूफ

वज्न : २१२२, २१२२, २१२२, २१२

मध्य अपने आग जो जलती नहीं संदेह की,
टूट कर दो भाग में बँटती नहीं इक जिंदगी.

हम गलतफहमी मिटाने की न कोशिश कर सके,
कुछ समय का दोष था कुछ आपसी नाराजगी,

आज क्यों इतनी कमी खलने लगी है आपको,
कल तलक मेरी नहीं स्वीकार थी मौजूदगी,

यूँ धराशायी नहीं ये स्वप्न होते टूटकर,
आखिरी क्षण तक नहीं बहती ये आँखों की नदी,

रात भर करवट बदलना याद करना रात भर,
एक अरसे से यही करवा रही है बेबसी.

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 864

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Maheshwari Kaneri on June 1, 2014 at 8:07pm

म गलतफहमी मिटाने की न कोशिश कर सके,
कुछ समय का दोष था कुछ आपसी नाराजगी,.........लाजवाब


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2014 at 1:02am

ग़ज़लियत से अश-अश करती इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई,भाई अरुन अनन्तजी. सार्थक ग़ज़ल हुई है.  किसी एक शेर पर क्या कहूँ हर शेर पर मुग्ध होता रहा. 

शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 30, 2014 at 5:36pm

हम गलतफहमी मिटाने की न कोशिश कर सके,
कुछ समय का दोष था कुछ आपसी नाराजगी,.............बहुत खूब 

सुन्दर ग़ज़ल हुई है प्रिय अरुण अनंत जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by Anurag Singh "rishi" on April 21, 2014 at 1:18pm

वाह आदरणीय एक बेहतरीन गैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल कही ......लाजवाब
सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 21, 2014 at 11:24am

आदरणीय प्रदीप सर बहुत बहुत शुक्रिया सराहना हेतु

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 21, 2014 at 11:23am

आदरणीय शिज्जू भाई जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका गज़ल आपको पसंद आई

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 21, 2014 at 11:23am

हार्दिक आभार आदरणीया महेश्वरी जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 21, 2014 at 11:22am

हार्दिक आभार अनुज राम

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 21, 2014 at 11:22am

आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 21, 2014 at 11:22am

वैद्यनाथ भाई ग़ज़ल आपको पसंद आई सुनकर प्रसन्नता हुई सराहना हेतु बहुत बहतु शुक्रिया आपका

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया * पानी-पानी  हो  गया, जब आयी बरसात। सूरज बादल में छिपा, दिवस हुआ है रात।। दिवस…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service