(1)
मत अपना कर्तव्य है , मत अपना अधिकार
एक - एक मत से बनें , मनचाही सरकार
मनचाही सरकार , चुनें प्रत्याशी मन का
मन जिसका निष्पाप, चहेता हो जन-जन का
क्षणिक लाभ का लोभ, मिटा देता हर सपना
हो कर हम निर्भीक , हमेशा दें मत अपना ||
(2)
झूठे निर्लज लालची , भ्रष्ट और मक्कार
क्या दे सकते हैं कभी, एक भली सरकार
एक भली सरकार, चाहिए - उत्तम चुनिए
हो कितना भी शोर,बात मन की ही सुनिए
मन के निर्णय अरुण , हमेशा रहें अनूठे
देते मन को ठेस, लालची निर्लज झूठे ||
(3)
लोकतंत्र का पर्व यह, है हम सबकी शान
बिना किसी से भी डरे , करें सभी मतदान
करें सभी मतदान , देश को दें मजबूती
दुनियाँ भर में अरुण, बजे अपनी ही तूती
मिलजुल करिये जाप,हमेशा कर्म-मन्त्र का
है हम सबकी शान, पर्व यह लोकतंत्र का ||
(मौलिक तथा अप्रकाशित)
Comment
बहुत खूबसूरत सार्थक मतदान की ताकत व महत्त्व के बखान के साथ साथ मतदान करने को प्रेरित करते सुन्दर छंद
इस सार्थक सृजन पर हार्दिक बधाई
सादर.
है हम सबकी शान, पर्व यह लोकतंत्र का .. . वाह वाह !
इस सार्थक छन्द के लिए हृदय से बधाई. तीनों कुण्डलिया अपने उद्येश्य में अत्यंत सफल हैं.
सादर
सुन्दर रचना, सुन्दर संदेश.... आपको बधाई।
संदेशात्मक कुण्डलिया गुरुदेव ,बहुत बधाई
राजेश दी की बात पर गौर कीजियेगा
आ. निगम जी सादर सन्देश परक सामायिक सुन्दर कुंडलिया छंदों के प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय.
आदरणीय अरुण भाई
मतदाता को सचेत करती , सही सलाह देती , चुनावी माहौल में सुंदर छंद की हार्दिक बधाई
अत्यंत सुंदर और संदेश देते हुए छंदों ने मन मुग्ध कर दिया। हार्दिक बधाई आपको
वाह वाह ! आदरणीय अरुण भाई , बहुत सुन्दर, सटीक , सार्थक , सामयिक संदेश देती आपकी कुन्डलिया रचना के लिये आपको बधाइयाँ !!
वाह ! बहुत सुन्दर, सामयिक और सार्थक छंद रचे है | हार्दिक बधाई श्री अरुण कुमार निगम जी
आदरणीय अरुण निगम साहब सादर, सामयिक विषय पर सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.
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