छिड़ी हुई शब्दों की जंग | दिखा रहे नेता जी रंग ||
वैचारिकता नंगधडंग | सुनकर हैरत जन-जन दंग ||
जाति धर्म के पुते सियार | इनपर कहना है बेकार ||
बात-बात पर दिल पर वार | जन मानस पर अत्याचार ||
पांच वर्ष में एक चुनाव | छोड़े मन पर कई प्रभाव ||
महँगाई भी देती घाव | डुबो रही है सबकी नाव ||
नारी दोहन अत्याचार | मिला नहीं अबतक उपचार ||
सरकारें करती उपकार | निर्धन फिरभी हैं बीमार ||
तीर तराजू औ तलवार | किसे कहें अब जिम्मेदार ||
चढ़ा देश को अजब बुखार | हर-हर घर-घर इक सरकार ||
फूल पत्तियाँ तीर-कमान |चौसर पर हैं कई निशान ||
मतदाता सारे हैरान | किसे करें अपना मतदान ||
मौलिक/अप्रकाशित.
-अशोक कुमार रक्ताले.
Comment
जाति धर्म के पुते सियार | इनपर कहना है बेकार ||
बात-बात पर दिल पर वार | जन मानस पर अत्याचार ||
प्रिय अशोक भाई यथार्थ को दर्शाती अच्छी रचना काश ये उनके जेहन में कुछ प्रकाश भर सके
भ्रमर ५
आदरणीय अरुण निगम साहब सादर, राजनीति के दांव पेंच सब छल ही तो हैं. सुन्दर प्रतिक्रया छंदों के लिए बधाई और मेरे प्रस्तुत छंदों का मान बढाने के लिए दिल से आभार स्वीकारें. सादर.
इधर टीसते कितने प्रश्न | किन्तु उधर केवल हैं जश्न ||
इधर कचोटे मन में आह | किन्तु उधर किसको परवाह ||
कैसे हम कर लें स्वीकार | उनके भाषण लच्छेदार ||
उनकी नजरों में हम वोट | साधो हम चौसर की गोट ||
बहुत सटीक सामयिक छंद के लिए बधाई आदरणीय रक्ताले जी ....
आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी सादर, आप छंदों को जिस गहराई तक महसूस किया है वह मेरे रचना कर्म का मान बढाता है. आपका बहुत-बहुत आभार. सादर.
आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, आपको यदि एक भी छंद अच्छा लगा तो मैं समझूंगा की मेरा लेखन सही दिशा में हैं. आपने कुछ छंद पसंद किये मेरा उत्साहवर्धन हुआ. सादर आभार.
आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, आप छंदों को आनंद लेकर पढ़ सके मेरे रचना कर्म को सार्थकता मिली. आपका दिल से आभार. आदरणीय सौरभ जी के छंद से तो मैंने सदैव ही सीखा है, सादर.
आदरणीया सरिता भाटिया जी सादर, रचना को समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार.
आदरणीय विजय निकोर साहब सादर प्रणाम, रचना पर आपसे बधाई पाना सुखद लगा. सादर आभार.
आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर, आपकी छंद अभिव्यक्ति से मेरी रचना की सार्थकता बढ़ी है. सादर आभार.
आदरणीय जीतेन्द्र गीत जी, आदरणीय अजीत शर्मा साहब, आदरणीया कुंती मुखर्जी जी, आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, आदरणीय सत्यनारायण सिंह साहब आप सभी का छंद रचना को समय देने और सराहने के लिए दिल से आभार. सादर.
बहुत खूब चुनावी चौसर का शब्द-चित्र पटल पर उकेरा है
बहुत बहुत बधाई आ० अशोक रक्ताले जी
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online