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चुनावी चौसर ! (चौपई छंद)

छिड़ी हुई शब्दों की जंग | दिखा रहे नेता जी रंग ||

वैचारिकता नंगधडंग | सुनकर हैरत जन-जन दंग ||

जाति धर्म के पुते सियार | इनपर कहना है बेकार ||

बात-बात पर दिल पर वार | जन मानस पर अत्याचार ||

 

पांच वर्ष में एक चुनाव | छोड़े मन पर कई प्रभाव ||

महँगाई भी देती घाव | डुबो रही है सबकी नाव ||

नारी दोहन अत्याचार | मिला नहीं अबतक उपचार ||

सरकारें करती उपकार | निर्धन फिरभी हैं बीमार ||

 

तीर तराजू औ तलवार | किसे कहें अब जिम्मेदार ||

चढ़ा देश को अजब बुखार | हर-हर घर-घर इक सरकार ||

फूल पत्तियाँ तीर-कमान |चौसर पर हैं कई निशान ||

मतदाता सारे हैरान | किसे करें अपना मतदान ||

 

 

मौलिक/अप्रकाशित.

 

-अशोक कुमार रक्ताले.

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 14, 2014 at 2:31pm

जाति धर्म के पुते सियार | इनपर कहना है बेकार ||

बात-बात पर दिल पर वार | जन मानस पर अत्याचार ||

प्रिय अशोक भाई यथार्थ को दर्शाती अच्छी रचना काश ये उनके जेहन में कुछ प्रकाश भर सके
भ्रमर ५

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2014 at 10:33pm

आदरणीय अरुण निगम साहब सादर, राजनीति के दांव पेंच सब छल ही तो हैं. सुन्दर प्रतिक्रया छंदों के लिए बधाई और मेरे प्रस्तुत छंदों का मान बढाने के लिए दिल से आभार स्वीकारें. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 2, 2014 at 10:23pm

इधर  टीसते कितने प्रश्न | किन्तु  उधर  केवल हैं जश्न ||

इधर कचोटे मन में आह | किन्तु उधर किसको परवाह ||

कैसे हम कर लें स्वीकार |   उनके   भाषण   लच्छेदार ||

उनकी नजरों में हम वोट |   साधो हम चौसर की गोट  ||

बहुत सटीक सामयिक छंद के लिए बधाई आदरणीय रक्ताले जी ....

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2014 at 9:49pm

आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी सादर, आप छंदों को जिस गहराई तक महसूस किया है वह मेरे रचना कर्म का मान बढाता है. आपका बहुत-बहुत आभार. सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2014 at 9:47pm

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, आपको यदि एक भी छंद अच्छा लगा तो मैं समझूंगा की मेरा लेखन सही दिशा में हैं. आपने कुछ छंद पसंद किये मेरा उत्साहवर्धन हुआ. सादर आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2014 at 9:45pm

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, आप छंदों को आनंद लेकर पढ़ सके मेरे रचना कर्म को सार्थकता मिली. आपका दिल से आभार. आदरणीय सौरभ जी के छंद से तो मैंने सदैव ही सीखा है, सादर. 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2014 at 9:42pm

आदरणीया सरिता भाटिया जी सादर, रचना को समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार. 

आदरणीय विजय निकोर साहब सादर प्रणाम, रचना पर आपसे बधाई पाना सुखद लगा. सादर आभार. 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2014 at 9:40pm

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर, आपकी छंद अभिव्यक्ति से मेरी रचना की सार्थकता बढ़ी है. सादर आभार. 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2014 at 9:38pm

आदरणीय जीतेन्द्र गीत जी, आदरणीय अजीत शर्मा साहब, आदरणीया कुंती मुखर्जी जी, आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, आदरणीय सत्यनारायण सिंह साहब आप सभी का छंद रचना को समय देने और सराहने के लिए दिल से आभार. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 2, 2014 at 9:07am

बहुत खूब चुनावी चौसर का शब्द-चित्र पटल पर उकेरा है 

बहुत बहुत बधाई आ० अशोक रक्ताले जी 

सादर 

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