नैन समर्पण ....
नैन कटीले होठ रसीले
बाला ज्यों मधुशाला
कुंतल करें किलोल कपोल पर
लज्जित प्याले की हाला
अवगुंठन में गौर वर्ण से
तृषा चैन न पाये
चंचल पायल की रुनझुन से मन
भ्रमर हुआ मतवाला
प्रणय स्वरों की मौन अभिव्यक्ति
एकांत में करे उजाला
मधु पलों में नैन समर्पण
करें प्रेम श्रृंगार निराला
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार आदरणीया मीना पाठक जी
रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू शकूर जी
श्रृंगार रस में डूबी बहुत ही सुन्दर रचना .. बधाई आदरणीय | सादर
वाह बहुत खूब आदरणीय सुशील सर बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीया कुंती मुख़र्जी जी रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार
श्रृगार रस में यह सुंदर रचना है...आपको हार्दिक बधाई.
आदरणीय श्याम नारायण जी रचना पर आपके मधुर प्रशंसा का हार्दिक आभार
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई |
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