प्यार भी करते हो …
प्यार भी करते हो तो शर्तों पे करते हो
लगता है तुम शायद मुहब्बत के अंजाम से डरते हो
क्यों मुड़ मुड़ के अपने निशां तका करते हो
क्यों ज़माने के खौफ को दिल में रखा करते हो
कभी इकरार से तो कभी इंकार से डरते हो
न, न
ऐसे तो प्यार न हो पायेगा
पानी के बुलबुले सा ये प्यार
वक्त की लहरों में खो जाएगा
अहसास कभी शर्तों में समेटे नहीँ जाते
शर्त और सौदे तो बाज़ारों में हुआ करते हैं
समर्पण बाज़ारों में कहां हुआ करते हैँ
इससे पहले कि
पाक लम्हों में कैद अहसास
शर्त की कोठरी मे घुट के दम तोङ देँ
आओ,
अपने स्वीकार को शर्त के बन्धन से मुक्त करें
इक दूजे में समाहित होकर
स्वयं को हार और जीत के भाव से विरक्त करें
मैं और तुम
हम का निर्माण करें
इक दूजे के स्पर्शों में खुद समेटें
खुद अपने पलों पे अभिमान करें
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय डॉ प्राची सिंह जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसात्मक अभिव्यक्ति का हार्दिक आभार। नेट व्यवधान के कारण आभार व्यक्त करने में विलम्ब के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
आदरणीय सुशील सरना जी
बहुत सही बात कही....
ऐसे तो प्यार न हो पायेगा
पानी के बुलबुले सा ये प्यार
वक्त की लहरों में खो जाएगा
अहसास कभी शर्तों में समेटे नहीँ जाते
शर्त और सौदे तो बाज़ारों में हुआ करते हैं
समर्पण बाज़ारों में कहां हुआ करते हैँ
जिस निःस्वार्थ कोमल भाव से आप ये रचना लिख गए हैं...उस पर बहुत बहुत बधाई स्वीकारिये
शुभकामनाएं
आदरणीय मदन मोहन सक्सेना जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार
बहुत खूब,सुन्दर
आदरणीया मीना पाठक जी रचना पर आपकी स्नेहात्मक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। नेट व्यवधान के कारण आभार प्रगट करने में विलम्ब हुआ, क्षमा चाहूंगा।
आदरणीय जितेन्द्र गीत जी रचना पर आपकी स्नेहात्मक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। नेट व्यवधान के कारण आभार प्रगट करने में विलम्ब हुआ, क्षमा चाहूंगा।
बहुत बहुत सुन्दर रचना .. बधाई आदरणीय
अपने स्वीकार को शर्त के बन्धन से मुक्त करें
इक दूजे में समाहित होकर
स्वयं को हार और जीत के भाव से विरक्त करें
मैं और तुम हम का निर्माण करें
इक दूजे के स्पर्शों में खुद समेटें
खुद अपने पलों पे अभिमान करें............सच! यही सच्ची जीत है 'हमारे' सफल जीवन की
बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय शुशील जी, हार्दिक बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online