जिसने तोड़ा हज़ार हिस्सों में
दिल के वो बरक़रार हिस्सों में
रोए, मुस्काए, चीखे, झुंझलाए
दिल का निकला ग़ुबार हिस्सों में
सबसे बदतर रहा यह बटवारा
एक परवरदिगार हिस्सों में
रूह, कल्बो जिगर व साँसों के
वो अकेला शुमार हिस्सों में
हमको तसलीम है करो तकसीम
हाँ मगर शानदार हिस्सों में
आप शामिल रहे कहीं ना कहीं
ज़ीस्त के यादगार हिस्सों में
मौत साँसों की किश्ते आखिर थी
चुक गया सब उधार हिस्सों में
Asif Amaan
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
//रोए, मुस्काए, चीखे, झुंझलाए
दिल का निकला ग़ुबार हिस्सो में//
वाह वाह क्या खूबसूरत शेर निकला है,बढ़िया है आसिफ़ जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई।
हां एक बात -- मकता का मिसरा सानी मैं समझ नहीं सका ।
बहुत ही खूबसूरत गज़ल है। बधाई।
Geetika Vedika ji aapki hausla afzai ka shukrguzaar hooN!!
रोए, मुस्काए, चीखे, झुंझलाए
दिल का निकला ग़ुबार हिस्सो में ..... संजीदा शेअर
एक खूबसूरत गज़ल के लिए ढेरों शुभकामनायें आसिफ जी!
Maheema Shree ji aapka tahe dil shukriya!!
बेहद उम्दा , लाजवाब ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाई आपको
Mohtarma Rachna Jain Saheba aapki inayat aur husn e nazar hai..
Adarniye Kalpana Ramani ji zarra nawazi ka tahe dil se shukriya!!
लाजवाब पंक्तियाँ ... बधाई
आदरणीय आसिफ जी, खूब सूरत गज़ल के ढेरों बधाइयाँ स्वीकार कीजिये !!
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