For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे मन कर कल्पना....

हे मन कर कल्पना

बना फिर अल्पना

खोल कर द्वार

सोच के कर पुनः संरचना

हे मन कर कल्पना

 

क्यूँ मौन तू हो गया

किस भय से तू डर गया

खड़ा हो चल कदम बढ़ा

करनी है तुझे कर्म अर्चना   

हे मन कर कल्पना

 

छोड़ उसे जो बीत गया

भूल उसे जो रीत गया

निश्चय कर दम भर ज़रा

सुना समय को अपनी गर्जना

हे मन कर कल्पना

 

पथ है खुला तू देख तो

नैनो को मीच खोल तो 

ऊंचाई पर ही फल मीठा मिले

बिन गाये नहीं होती वन्दना

हे मन कर कल्पना

 

किनारे छोड़ नदी में उतर

तैर कर असत्य पार आ

बिन मरे न कोई स्वर्ग पाये

गढ़नी है तुझे नयी अभिव्यंजना

हे मन कर कल्पना……

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

प्रियंका.....

Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on May 26, 2014 at 3:32pm

//क्यूँ मौन तू हो गया

किस भय से तू डर गया

खड़ा हो चल कदम बढ़ा

करनी है तुझे कर्म अर्चना   

हे मन कर कल्पना//

//छोड़ उसे जो बीत गया

भूल उसे जो रीत गया

निश्चय कर दम भर ज़रा

सुना समय को अपनी गर्जना

हे मन कर कल्पना//

यूँ तो सारी कविता ही प्रोत्साहित कर रही है, परन्तु यह पंक्तियाँ अत्यन्त मनमोहक लगीं।

 

किसी भी आशाहीन को आशापूर्ण करती इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए साधुवाद, आदरणीया प्रियंका जी।

 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 26, 2014 at 3:02pm

पथ है खुला तू देख तो

नैनो को मीच खोल तो 

ऊंचाई पर ही फल मीठा मिले

बिन गाये नहीं होती वन्दना

हे मन कर

सुन्दर सन्देश और जोश बढाती अच्छी रचना
भ्रमर ५

कल्पना

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 23, 2014 at 12:56pm

गढ़नी  है तुझे नयी अभिव्यंजना

रे मन कर कल्पना ---

यही तो कवि धर्म है i ऐसी समुन्नत विचार को आशीष  i

Comment by Shyam Narain Verma on May 23, 2014 at 9:49am
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई...............

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 23, 2014 at 8:08am

बहुत बढ़िया आदरणीया प्रियंका जी

Comment by Meena Pathak on May 22, 2014 at 11:35pm

बहुत सुन्दर ... बधाई आदरणीया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service