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ग़ज़ल - मन को छूती नहीं हवायें अब ( गिरिराज भंडारी )

2122       1212    22

ज़िन्दगी यूँ लगी भली, फिर भी  

बात खुशियों की है चली, फिर भी 

 

देखिये सच कहाँ पहुँचता है

यूँ है चरचा गली गली, फिर भी 

 

क्या करूँ हक़ में कुछ नहीं मेरे

रूह तक तो मेरी जली, फिर भी 

 

क्यों अँधेरा घिरा सा लगता है  

साँझ अब तक नहीं ढली फिर भी 

 

आप दहशत को और कुछ कह लें

डर गई हर कली कली फिर भी 

 

अश्क रुक तो गये हैं आखों के

दिल में बाक़ी है बेकली फिर भी

 

बात तासीर तक नहीं पहुँची

यूँ थी मिश्री की वो डली फिर भी  

 

पत्तियों से गई उदासी क्या ?

थी हवाओं में खलबली फिर भी  

 

मन को छूती नहीं हवायें अब

यूँ हवा है तो मनचली , फिर भी

******************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 27, 2014 at 8:51pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 27, 2014 at 8:50pm

आदरणीया सरिता भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 27, 2014 at 8:49pm

आदरणीय श्याम भाई , हराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by coontee mukerji on May 27, 2014 at 6:29pm

बहुत सुंदर गज़ल. भंडारी जी दाद कूबूल करें.सादर

Comment by शकील समर on May 27, 2014 at 4:58pm

अश्क रुक तो गये हैं आखों के
दिल में बाक़ी है बेकली फिर भी

बात तासीर तक नहीं पहुँची
यूँ थी मिश्री की वो डली फिर भी

वाह वाह। आला दर्जे की गजल। दिली दाद कुबूलें।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 27, 2014 at 2:02pm

क्यों अँधेरा घिरा सा लगता है  

साँझ अब तक नहीं ढली फिर भी 

 

आप दहशत को और कुछ कह लें

डर गई हर कली कली फिर भी 

 बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ...दिली दाद कबूलें 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 27, 2014 at 11:51am

क्या करूँ हक़ में कुछ नहीं मेरे

रूह तक तो मेरी जली, फिर भी...........वाह! .दिल को छू गया

हार्दिक बधाई आपको आदरणीय गिरिराज जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 27, 2014 at 11:47am

मित्र , बस i  तेरे हुस्न (गजल शिल्प ) की क्या तारीफ करूं i  मोती सा पिरोया है i  बहुत बधाई i

Comment by Sarita Bhatia on May 27, 2014 at 9:36am

वाह आदरणीय गिरिराज खुबसूरत गजल 

Comment by Shyam Narain Verma on May 26, 2014 at 5:10pm
अच्छी गजल के लिये बधाई..............

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