कौन है तू, मौन मेरा या मुखर संगीत है,
शब्द है कोई मधुर या भाव शब्दातीत है।
रंग है या रेख केवल,चित्र है या तूलिका,
शेर है मेरी ग़ज़ल का,नज़्म या नवगीत है॥
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कुछ पुरानी भंगिमाएँ,कुछ नई मुस्कान है,
सिसकियों में सुर सजे हैं,आह में भी गान है।
खोजते हैं लोग मेरा अक्स तेरी आँख में,
तू जहां से और तुझ से ये जहां हैरान है॥
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नर्म उजली धूप का उबटन लगे जब गुनगुना,
देवदारों में हवा का बज रहा हो झुनझुना।
मौसमों की करवटों में दास्तानें पढ़ सके,
बारिशों में सुन सके तू गीत कोई अनसुना॥
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झुटपुटे में शाम के जब चाँद का झूमर हिले,
रात की रानाइयों में चाँदनी तुझ पर खिले।
गाल पे बिखरा करेगी भोर की जो लालिमा,
दोपहर का ताप भी तेरी अदाओं को मिले॥
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-मौलिक एवं अप्रकाशित।
-15.04.2014
Comment
नर्म उजली धूप का उबटन लगे जब गुनगुना,
देवदारों में हवा का बज रहा हो झुनझुना।
मौसमों की करवटों में दास्तानें पढ़ सके,
बारिशों में सुन सके तू गीत कोई अनसुना॥- बहुत खूब | बहुत सुन्दर भाव रचना के लिए वाह ! वाह ! और वाह |
प्रिय रवि प्रकाश जी
क्या सुन्दर रचना की है आपने i एक एक शब्द चुने हुए i सुर ताल दुरुस्त i भाव भी सशक्त i
अगर जिन्दगी में कोई नवजात आया हो तो यह गीत उसे समर्पित करे i मेरी शत-शत बधाई i
बहुत खूब ..बधाई
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