‘’ हमारे रिश्ते ‘’
*****************
अगर रिश्ते सच में हैं , तो
मीलों की दूरियाँ
कमज़ोर नही करती रिश्तों की मज़बूती
मिलन की प्यास बढाती ज़रूर है
रिश्ते , मृग मरीचिका नहीं होते
कि , पास पहुँचें तो नज़र न आयें
भावनायें प्यासी रह जायें
रिश्ते
रेत मे लिखे इबारत भी नही होते
कि ,सफल हो जायें, जिसे मिटाने में
समय के समुद्र में उठती गिरती कमज़ोर लहरें भी
रिश्ते
शिला लेख की तरह होते हैं
समय के समुद्र में सुनामी भी आये
वैसे ही लिखे मिलेंगे ,
लहरों के शांत हो जाने के बाद
और मुझे यक़ीन है
हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं
शिला लेख हैं
जिसे समय या मीलों की दूरियाँ
मिटा नहीं सकेंगी
****************
मौलिक एवँ अप्रकशित
Comment
आदरनीय जितेन्द्र भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
आदरणीय शिज्जू भाई , आपका हार्दिक आभार ।
और मुझे यक़ीन है
हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं
शिला लेख हैं
जिसे समय या मीलों की दूरियाँ
मिटा नहीं सकेंगी -------------------बहुत सुन्दर भाव रचना के लिए बधाई | यह जितना सच है उतना ही सच यह भी है कि रिश्ते कच्चे धागे से नाजुक भी है, जिन्हें टूटते देर नहीं लगती |
वाह आदरणीय लाजवाब
अगर रिश्ते सच में हैं , तो
मीलों की दूरियाँ
कमज़ोर नही करती रिश्तों की मज़बूती
मिलन की प्यास बढाती ज़रूर है....यदि वाकई सच हैं तो बिलकुल सच है ये महसूस कर रहा हूँ
और मुझे यक़ीन है
हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं
शिला लेख हैं
जिसे समय या मीलों की दूरियाँ
मिटा नहीं सकेंगी ....
आदरणीय गिरिराज भाईसाब
अगर रिश्ते सच में हैं , तो
मीलों की दूरियाँ
कमज़ोर नही करती रिश्तों की मज़बूती
मिलन की प्यास बढाती ज़रूर है....यदि वाकई सच हैं तो बिलकुल सच है ये महसूस कर रहा हूँ
और मुझे यक़ीन है
हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं
शिला लेख हैं
जिसे समय या मीलों की दूरियाँ
मिटा नहीं सकेंगी ....पूरी तरह सहमत हूँ ..इस रचना की जितनी तारीफ़ की जाए कम है ..इक बार पुनः हार्दिक बधाई के साथ
मित्र
प्रथम तो आपको धन्यवाद की आप्केदिल में कोई ऐसा रिश्ता है जो शिलालेख की तरह अभेद्य है i मित्र कहाँ पाया ऐसा रिश्ता ? आप सचमुच भाग्यशाली है वर्ना - सुर नर मुनि सबकर यह रीती i स्वार्रथ लाय कराहि सब प्रीती i
आदरणीय भंडारी जी,
रिश्ते की मजबूती और गहराइयों का बखान करती हुई अच्छी रचना बनी है।
हार्दिक शुभकामनायें।
सादर
सुंदर रचना..... हार्दिक बधाइयाँ .
और मुझे यक़ीन है
हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं
शिला लेख हैं
जिसे समय या मीलों की दूरियाँ
मिटा नहीं सकेंगी …… वाह बहुत ही खूबसूरती से आपने रिश्तों के भावों को शब्दों में उकेरा है .... रिश्तों की अहमियत को दर्शाती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी
आपकी तमाम रचनाओं में से एक सुंदर रचना.....
और मुझे यक़ीन है
हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं
शिला लेख हैं
जिसे समय या मीलों की दूरियाँ
मिटा नहीं सकेंगी .......आपको अनेक बधाइयाँ भंडारी जी/सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online