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‘’हमारे रिश्ते‘ -अतुकांत (गिरिराज भंडारी)

‘’ हमारे रिश्ते ‘’

*****************

अगर रिश्ते सच में हैं , तो

मीलों की दूरियाँ

कमज़ोर नही करती रिश्तों की मज़बूती

मिलन की प्यास बढाती ज़रूर है

 

रिश्ते , मृग मरीचिका नहीं होते

कि , पास पहुँचें तो नज़र न आयें

भावनायें प्यासी रह जायें

 

रिश्ते

रेत मे लिखे इबारत भी नही होते

कि ,सफल हो जायें, जिसे मिटाने में

समय के समुद्र में उठती गिरती कमज़ोर लहरें भी

रिश्ते

शिला लेख की तरह होते हैं

समय के समुद्र में सुनामी भी आये

वैसे ही लिखे मिलेंगे ,

लहरों के शांत हो जाने के बाद

 

और मुझे यक़ीन है

हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं

शिला लेख हैं

जिसे समय या मीलों की दूरियाँ

मिटा नहीं सकेंगी  

****************

मौलिक एवँ अप्रकशित

 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 31, 2014 at 1:34pm

आदरनीय जितेन्द्र भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 31, 2014 at 1:34pm

आदरणीय शिज्जू भाई , आपका हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 31, 2014 at 11:39am

और मुझे यक़ीन है

हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं

शिला लेख हैं

जिसे समय या मीलों की दूरियाँ

मिटा नहीं सकेंगी  -------------------बहुत सुन्दर भाव रचना के लिए बधाई | यह जितना सच है उतना ही सच यह भी है कि रिश्ते कच्चे धागे से नाजुक भी है, जिन्हें टूटते देर नहीं लगती | 

Comment by Sarita Bhatia on May 31, 2014 at 10:47am

वाह आदरणीय लाजवाब 

अगर रिश्ते सच में हैं , तो

मीलों की दूरियाँ

कमज़ोर नही करती रिश्तों की मज़बूती

मिलन की प्यास बढाती ज़रूर है....यदि वाकई सच हैं तो बिलकुल सच है ये  महसूस कर रहा हूँ 

और मुझे यक़ीन है

हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं

शिला लेख हैं

जिसे समय या मीलों की दूरियाँ

मिटा नहीं सकेंगी ....

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 30, 2014 at 4:27pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब 

अगर रिश्ते सच में हैं , तो

मीलों की दूरियाँ

कमज़ोर नही करती रिश्तों की मज़बूती

मिलन की प्यास बढाती ज़रूर है....यदि वाकई सच हैं तो बिलकुल सच है ये  महसूस कर रहा हूँ 

और मुझे यक़ीन है

हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं

शिला लेख हैं

जिसे समय या मीलों की दूरियाँ

मिटा नहीं सकेंगी ....पूरी तरह सहमत हूँ ..इस रचना की जितनी तारीफ़ की जाए कम है ..इक बार पुनः हार्दिक बधाई के साथ 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 30, 2014 at 12:12pm

मित्र

प्रथम तो आपको धन्यवाद की आप्केदिल में कोई ऐसा रिश्ता है जो शिलालेख की तरह अभेद्य है  i मित्र कहाँ पाया ऐसा रिश्ता ?  आप सचमुच भाग्यशाली है  वर्ना - सुर नर मुनि सबकर यह रीती i स्वार्रथ लाय  कराहि सब प्रीती i

Comment by Vindu Babu on May 29, 2014 at 7:43pm

आदरणीय भंडारी जी,

रिश्ते की मजबूती और गहराइयों का बखान करती हुई अच्छी रचना बनी है।

हार्दिक शुभकामनायें।

सादर

Comment by Maheshwari Kaneri on May 29, 2014 at 7:21pm

सुंदर रचना..... हार्दिक बधाइयाँ .

Comment by Sushil Sarna on May 29, 2014 at 3:20pm

और मुझे यक़ीन है
हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं
शिला लेख हैं
जिसे समय या मीलों की दूरियाँ
मिटा नहीं सकेंगी …… वाह बहुत ही खूबसूरती से आपने रिश्तों के भावों को शब्दों में उकेरा है .... रिश्तों की अहमियत को दर्शाती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी

Comment by coontee mukerji on May 29, 2014 at 1:26pm

आपकी तमाम रचनाओं में से एक सुंदर रचना.....

और मुझे यक़ीन है

हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं

शिला लेख हैं

जिसे समय या मीलों की दूरियाँ

मिटा नहीं सकेंगी  .......आपको अनेक बधाइयाँ भंडारी जी/सादर

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