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"नूर" की ग़ज़ल -देख तेरा जो हाल है प्यारे

२१२२ १२१२ २२/११ २  
.
देख तेरा जो हाल है प्यारे
ज़िन्दगी का सवाल है प्यारे.
.

लोग मुर्दा पड़े हैं बस्ती में,
बस तुझी में उबाल है प्यारे.
.

आम कहता है ख़ुद को जो इंसाँ,
उसकी रंगत तो लाल है प्यारे.
.

उसकी थाली में मुझ से ज़्यादा घी,
बस यही इक मलाल है प्यारे. 
.

हम ने अपना लहू भी वार दिया,
सबको लगता गुलाल है प्यारे.   
.

ख़ाक ही ख़ाक बस उड़ेगी अब,
ये हवाओं की चाल है प्यारे. 
.

अब तो उम्मीद भी है नाउम्मीद, 
क्या ही अच्छा ये साल है प्यारे.
.

कैसे करवाए वो रफ़ू पैबंद,
पैरहन जिसका, ख़ाल है प्यारे.
.

हो गए रोंगटे खड़े तेरे,
ये ग़ज़ल का कमाल है प्यारे.
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
निलेश "नूर"
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 29, 2014 at 6:50pm

धन्यवाद आ. वंदना जी एवम आ. सौरभ सर 

Comment by vandana on June 10, 2014 at 5:52am

.

हम ने अपना लहू भी वार दिया,
सबको लगता गुलाल है प्यारे.   

वाह आदरणीय बहुत शानदार ग़ज़ल 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 10, 2014 at 12:02am

वाह ! खूबसूरत ग़ज़ल !! ..

इस प्रस्तुति पर ढेरों दाद  कह रहा हूँ..

सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 9, 2014 at 5:42pm

शुक्रिया विशाल जी 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 8, 2014 at 11:01pm

शानदार गजल - बाकमाल मक्ता.... दोनों के लिये दिल से बधाई भाई !!!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 8, 2014 at 6:05pm

शुक्रिया जीतेन्द्र "गीत" जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 8, 2014 at 6:05pm

शुक्रिया डॉ प्राची सिंह जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 8, 2014 at 6:04pm

शुक्रिया डॉ आशुतोष मिश्र जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 7, 2014 at 3:39pm

वाकई ग़ज़ल का भी और ग़ज़ल में भी कमाल है ..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 7, 2014 at 3:34pm

आम कहता है ख़ुद को जो इंसाँ,
उसकी रंगत तो लाल है प्यारे.... बहुत बढ़िया 

उसकी थाली में मुझ से ज़्यादा घी, 
बस यही इक मलाल है प्यारे. ...सदियों से यही तकलीफ रही है ..सभी शेर एक से बढ़कर एक उम्दा ..मेरी तरफ से इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

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