संस्कारों की कमी से , मनचले होते रहेंगे
कुछ न बदलेगा जहां में , हादसे होते रहेंगे.
दोष इसका दोष उसका मूल बातें गौण सारी
तालियाँ जब तक बजेंगी , चोंचले होते रहेंगे .
मौन धरने उग्र रैली , जल बुझेगी मोमबत्ती
आड़ में कुछ बाड़ में कुछ सामने होते रहेंगे .
आबकारी लाभकारी लाडला सुत है कमाऊ
और भी तो रास्ते हैं , फायदे होते रहेंगे .
ये गवाही वो गवाही, है बहुत ही चाल धीमी
जानता है हर दरिंदा , फैसले होते रहेंगे.
अश्क हैं घड़ियाल जैसे दाँत हाथी की तरह दो
रंग गिरगिट सा बदलते वो हरे होते रहेंगे .
ठोस दावे ठोस वादे, ढोल-सी आवाज इनकी
सोच बदलेगी न जब तक,खोखले होते रहेंगे.
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय अरुण भाईजी.. जिस बेफ़िक्र अंदाज़ में यह ग़ज़ल हुयी है वह आपकी सिद्धहस्तता की परिचायक है.
हर शेर मूल्यवान है मगर जिस शेर ने बहुत कुछ लपेट कर साझा किया है --
ये गवाही वो गवाही, है बहुत ही चाल धीमी
जानता है हर दरिंदा , फैसले होते रहेंगे.
इस शेर के लिए विशेष बधाई. .
आदरणीय अरुण भाईजी,
व्यक्ति , परिवार , समाज , देश , नेता , अफसर सभी का नैतिक पतन तेजी से हुआ है। और भोगना आम आदमी को है । कड़वी सच्चाई बयां करती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई
अश्क हैं घड़ियाल जैसे दाँत हाथी की तरह दो
रंग गिरगिट सा बदलते वो हरे होते रहेंगे .
शानदार ग़ज़ल आदरणीय सादर नमन
संस्कारों की कमी से , मनचले होते रहेंगे
कुछ न बदलेगा जहां में , हादसे होते रहेंगे....सच है जबतक आदमी की मानसिकता सकारात्मक सोच में न बदले तो समाज में हादसे होते रहेंगे...आदरणीय ....सादर
सच्चाई से भरपूर आपकी रचना को दाद देता हूँ। बधाई।
सच्चाई बया कर दी आपने हर लाइन में ..बहुत खुबसुरत
आदरणीय अरुण निगम जी , बहुत सुन्दर प्रस्तुति .. सादर बधाई
आदरणीय निगम जी ..बहुत ही उम्दा शेर ..वर्तमान पर्द्रिश्य पर शानदार कटाक्ष ..किसी शेर को बिशेष शेर कहना अन्य शेरो के साथ बेमानी होगा ..इस सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई सदर
अश्क हैं घड़ियाल जैसे दाँत हाथी की तरह दो
रंग गिरगिट सा बदलते वो हरे होते रहेंगे ..............बस यही सब कुछ चलता रहेगा,इस कटु सच्चाई को बयां करती रचना पर हार्दिक बधाई आपको आदरणीय अरुण जी
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